जब नाभि अपने स्थान से हट जाती है तो पेट में तेज दर्द होता है, जब तक नाभि अपने बहुत स्थान पर आ न जाए, यह दर्द बराबर बना रहता है। (नाभि के एक तरफ एक दृश्यमान उभार का दिखना।) इस कारण जुलाब (दस्त) लग जाते हैं। आगे झुकने और कोई वजन उठाने में भी कठिनाई होती है। नाभि को अपने स्थान पर बिठाना चाहिए। जब नाभि अपने स्थान पर आकर सैट हो जाए तो कुछ खाना भी अवश्य चाहिए। | पहले के लोग किसी बड़ी बूढ़ी औरत से नाभि सैट करवाते थे।
वो ही तरीका आपको यहां बताते हैं।
मरीज को जमीन पर लिटाकर उसकी नाभि पर एक
दिया (दीपक, जिसमें तेल न हो ) में एक कपूर का जरा सा टुकड़ा रखेंगे। कपूर को जलाएंगे और
उसके ऊपर एक ग्लास या लोटा उल्टा रखेंगे। कपूर जल जाए तो एक मिनट के बाद
ग्लास को झटके से उठाएंगे। मरीज के पैर के अंगूठे खींचेंगे। उसको धीरे से
बिठाएंगे और कुछ खाने को देंगे। ये विधि तीन दिन खाली पेट करनी है।
आप सोचेंगे कि यह दिया नाभि पर क्यों जला रहे हैं?
क्योंकि उसके ऊपर हम ग्लास रखेंगे या लोटा रखेंगे तो गिलास में हवा होती है जो छोटे से कपूर के टुकड़े के जलने से वह हवा खत्म हो जाएगी और वह लोटा वहीं पर चिपक जाता है फिर हम उसको दोनों हाथ से खींचकर (ऊपर की ओर लोटे को खीचें...) तो नाभि अपने आप सेट हो जाती है ऐसा 3 दिन करना है।
दूसरा तरीका यह है- सबसे पहले जमीन पर लेट जाएं, फिर पैरो को मिलाये और दोनो पैर के अंगूठे को मिलाये और देखे किस पैर का अंगूठा छोटा है, जिस पैर का अंगूठा छोटा हो उस पैर के तलवे में 5-6 बार तेजी से मुक्का मरवाये या फिर बेलन से मारे।
फिर 1 मिनट लेटे रहे, इसके बाद उकड़ू बैठ जाये, फिर नाभि के ठीक पीछे पीठ पर हाथों से 2 थपकी लगवाएं.....
ऐसा 3 दिन खाली पेट करें। यह तरीका करने के बाद एक घंटा कुछ ना खाएं।
यदि नाभि बार-बार हट जाती है तो उसे बार बार बिठाने का प्रयास करते नहीं रहना चाहिए। क्योंकि इससे वो झूठी पड़ जाती है। एक बार नाभि (नाप) बिठाने के पश्चात पावों के अंगूठों में मोटा काला धागा बांध लेना चाहिए। इससे नाभि हटना बंद हो जाता है।
* बीस ग्राम सौंफ को बीस ग्राम गुड़ में मिलाएं
और प्रातः खाली पेट सेवन करें। इससे अपने स्थान से हटी हुई नाभि अपने स्थान
पर आ जाएगी।
* नाभि पर सरसों का तेल मलने से नाभि के टलने, हटने
अथवा खिसकने में लाभ होता है। रोग की तीव्रता होने पर रुई और ऊपर से कपड़े
की पट्टी बांध लें।
Daadee Maa Ke Nuskhe
Naabhi Ka Khisakana
Jab naabhi apane
sthaan se hat jaatee hai to pet mein tej dard hota hai, balki jab tak
naabhi apane bahut sthaan par aa na jae, yah dard baraabar bana rahata
hai. is kaaran julaab (dast) lag jaate hain. Aage jhukane aur koee vajan
uthaane mein bhee kathinaee hotee hai. Naabhi ko apane sthaan par
bithaana chaahie. Jab naabhi apane sthaan | par aakar sait ho jae to
kuchh khaana bhee avashy chaahie. Pahale kisee badee boodhee aurat se
naabhi sait karavaate the. Ek tareeka aapako yahaan bataate hain.
Mareej
ko jameen par litaakar usakee naabhi par ek diya (deepak, jisamen tel
na ho ) mein ek kapoor rakhenge. Kapoor ko jalaenge aur usake oopar ek
glaas ya lota ulta rakhenge. Kapoor jal jae to ek minat ke baad glaas ko
jhatake se uthaenge. Mareej ke pair ke angoothe kheenchenge. Usako
dheere se bithaenge aur kuchh khaane ko denge. Ye vidhi teen din khaalee
pet karanee hai.
Yadi naabhi baar-baar hat jaatee hai to use
baar baar bithaane ka prayaas karate nahin rahana chaahie kyonki isase
vo jhoothee pad jaatee hai. Ek baar naabhi (naap) bithaane ke pashchaat
paavon ke angoothon mein mota kaala dhaaga baandh lena chaahie. Isase
naabhi hatana band ho jaata hai.
* Bees graam saumph ko bees
graam gud mein milaen aur praatah khaalee pet sevan karen. Isase apane
sthaan se hatee huee naabhi apane sthaan par aa jaegee.
* Naabhi
par sarason ka tel malane se naabhi ke talane, hatane athava khisakane
mein laabh hota hai. Rog kee teevrata hone par ruee aur oopar se kapade
kee pattee baandh len.
SARAL VICHAR
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