मन की बात
परिस्थिति जैसी भी हो, उसे वैसी ही स्वीकारो। उसे विकृत मत बनाओ। कम सोचो और काम ज्यादा करो। अच्छा सोचो, पॉजिटिव सोचो। 25% परेशानी है तो उसे उतनी ही रहने दो । 80%, 90% मत बनाओ। लोग अच्छे विचार नहीं सोचते।
पर हर परिस्थिति या हालात में फायदा भी है और हानि भी, पर ये तो हमें
ढूंढना है । अगर फायदा है तो उसे बार-बार रिपीट करो। इनडायरेक्ट फायदे को
भी ढूंढ निकालो।
एक उदाः है जो शायद
आपने भी सुना होगा। एक महिला को कैंसर हुआ। उसने अपने फायदे बताए । वह बोली
पहले मैं समय के महत्व को नहीं समझती थी। समय को वेस्ट करती थी। किंतु अब
हर दिन का अच्छे से अच्छा उपयोग करती हूं। पहले मैं सोचती थी कि मेरा मनोबल
अच्छा नहीं है, कमजोर है। किंतु जब कैंसर हुआ तो डॉ. किमोथैरेपी (शॉक)
देते थे। मेरे आपरेशन भी हुए। वह सब मैं सहन कर गई।
कई बार लोग यह
नहीं सोचते कि पॉजिटिव थींकिंग क्या है? यहां यह कहना उचित होगा कि कि आप हर
परिस्थिती में अच्छी बात क्या होगी वह ढूंढ निकालो। भले वह उस समय दिखाई
नहीं भी देगी या अगर किसी बात में हानि हुई तो भी सोचो कि हानि हुई, पर कम
हुई। यह एक मान्यता बना लो ।
हर दिए तले अंधियारा होता है,
हर अंधियारी रात के बाद उजाला होता है।
तनाव में आ जाते हैं मुसीबत को देखकर,
किंतु मुसीबत के बाद सुख का डेरा होता है।
जब
घोर अंधियारी रात जब जीवन में आए तो यह सोचो कि अभी सूरज उगने वाला है।
पॉजिटिव सोच में बस इतना करो कि प्राब्लम (परेशानी) के हल को देखो। हम
सिर्फ प्राब्लम देखते हैं।
कम से कम इतना तो करें कि हम वर्तमान में जीएं।
पता नहीं क्यों हम आने वाली बातों या हालातों को सोच-सोचकर डरते हैं। जो
हालात अभी हैं, हम उन क्षणों को नहीं जीते।
दूसरों के बारे में भी अच्छा सोचो। क्योंकि विचार दूसरे तक जरुर पहुंचते हैं। यह तो बिल्कुल तय है।
उदाः से समझो कि-
एक
बूढ़ी अम्मा गठरी लेकर जा रही थी, एक घुड़सवार वहां से गुजरा तो वह बोली-
बेटा, मेरी गठरी को वहां तक ले चलो। उस समय तो घुड़सवार ने मना कर दिया।
थोड़ी दूर जाने पर उसने सोचा कि गठरी मैं लेकर भाग जाउंगा यह बुढ़िया तो
मुझे पकड़ नहीं पाएगी। वह वापिस उस बुढ़िया के पास आया और बोला- दो आपकी
गठरी, मैं लेकर चलता हूं। बुढ़िया बोली- बेटा, जिसने तुझसे यह कहने को कहा,
उसने पहले मुझे सावधान कर दिया।
विचार दूसरे तक जरुर पहुंचते हैं। यह तो बिल्कुल तय है।
- डॉ. गिरीश पटेल
हमको तो तनाव की आदत हो गई है.....
कहते हैं तनाव से दोस्ती हो गई है इस कदर कि, तनाव होता है तनाव न होने पर ।
डॉ. गिरीश पटेल
SARAL VICHAR
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