कहानियां जो जिंदगी बदल दें...
असंभव कुछ भी नहीं।
ऐसा इसलिए होता है क्योंकि जब वह बच्चा उस लोहे की जंजीर को तोड़ नहीं पाता तो आखिरकार मान लेता है
कि वह कभी भी उस लोहे की जंजीर को तोड़ नहीं पाएगा। जब वह बड़ा और शक्तिशाली बन जाता है तब भी उस रस्सी को तोड़ने की कोशिश नहीं करता । गलत धारणा के कारण वह उस रस्सी से बंधा रहता है। जबकि वह दुनिया के सबसे ताकतवर जानवरों में से एक है।
भौंरा (भंवरा) - वैज्ञानिकों के अनुसार भंवरे का शरीर बहुत भारी होता है। विज्ञान के नियमों के अनुसार वह उड़ नहीं सकता, लेकिन भंवरे को इस बात का पता नहीं होता। वह तो यही मानता है कि वह उड़ सकता है। इसलिए वह लगातार कोशिश करता जाता है। आखिरकार वह उड़ने में सफल हो ही जाता है। इस जीवन में नामुमकिन कुछ भी नहीं है। यह नामुमकिन शब्द मनुष्य ने ही बनाया है।
जब टेलिफोन और रेडियो का अविष्कार नहीं हुआ था तो दुनिया और विज्ञान यही मानते थे कि आवाज को कुछ ही समय में सैकड़ों किला मीटर दूर पहुंचाना नामुमकिन (Impossible) है। लेकिन आज मोबाईल हमारे जीवन का हिस्सा है। जिसमें हम अपनी आवाज को दूर तक पहुंचा सकते हैं।
विमान- इसी तरह जब विमान का अविष्कार नहीं हुआ था, तब तक विज्ञान जगत भी यही मानता था कि मनुष्य का आकाश में उड़ना संभव नहीं। लेकिन जब 'राईट बंधुओं' ने विमान का अविष्कार किया तो असंभव 'संभव' बन गया।
इसी तरह क्रिकेट जगत में वनडे क्रिकेट के इतिहास में सन् 2010 तक एक भी दोहरा शतक नहीं लगा था। लेकिन सन् 2010 में सचिन तेंदूलकर ने दोहरा शतक लगाया तो दोहरा शतक लगाने के 2-4 वर्षों में ही 4-5 दोहरे शतक लग गए। क्या यह मात्र संयोग था ?
ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि 2010 से पहले जब किसी ने दोहरा शतक नहीं लगाया था तो सभी की मानसिकता यही थी कि दोहरा शतक लगाना बहुत ही मुश्किल है। यह रिकार्ड किसी ने भी नहीं तोड़ा था तो यह नामुमकिन लगता था। पर अब यह मानसिकता बदल चुकी है कि यह बात मुश्किल तो है पर नामुमकिन नहीं। मंजिल कितनी भी दूर क्यों ना हो कभी हिम्मत ना हारें, क्योंकि पहाड़ों से निकली नदी ने कभी किसी से समुद्र का रास्ता नहीं पूछा।
इस दुनिया में नामुमकिन कुछ भी नहीं। नामुमकिन हमारा भ्रम या गलत मान्यता है जो आखिरकार गलत साबित होती है।
यह हम पर निर्भर करता है कि हमें हाथी की तरह अपनी ही सोच का गुलाम रहना है या भंवरे की तरह स्वतंत्र । अगर हम यह मानते हैं और स्वयं पर यह विश्वास करते हैं कि हम कुछ भी कर सकते हैं तो हमारे लिए नामुमकिन कुछ भी नहीं....
विमान- इसी तरह जब विमान का अविष्कार नहीं हुआ था, तब तक विज्ञान जगत भी यही मानता था कि मनुष्य का आकाश में उड़ना संभव नहीं। लेकिन जब 'राईट बंधुओं' ने विमान का अविष्कार किया तो असंभव 'संभव' बन गया।
इसी तरह क्रिकेट जगत में वनडे क्रिकेट के इतिहास में सन् 2010 तक एक भी दोहरा शतक नहीं लगा था। लेकिन सन् 2010 में सचिन तेंदूलकर ने दोहरा शतक लगाया तो दोहरा शतक लगाने के 2-4 वर्षों में ही 4-5 दोहरे शतक लग गए। क्या यह मात्र संयोग था ?
ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि 2010 से पहले जब किसी ने दोहरा शतक नहीं लगाया था तो सभी की मानसिकता यही थी कि दोहरा शतक लगाना बहुत ही मुश्किल है। यह रिकार्ड किसी ने भी नहीं तोड़ा था तो यह नामुमकिन लगता था। पर अब यह मानसिकता बदल चुकी है कि यह बात मुश्किल तो है पर नामुमकिन नहीं। मंजिल कितनी भी दूर क्यों ना हो कभी हिम्मत ना हारें, क्योंकि पहाड़ों से निकली नदी ने कभी किसी से समुद्र का रास्ता नहीं पूछा।
इस दुनिया में नामुमकिन कुछ भी नहीं। नामुमकिन हमारा भ्रम या गलत मान्यता है जो आखिरकार गलत साबित होती है।
हम वो सब कर सकते हैं जो हम सोच सकते हैं और हम वो सब सोच सकते हैं
जो आज तक हमने नहीं सोचा'
हमारे साथ वैसा ही होता है जैसा हम मानते हैं और विश्वास करते हैं।
यह हम पर निर्भर करता है कि हमें हाथी की तरह अपनी ही सोच का गुलाम रहना है या भंवरे की तरह स्वतंत्र । अगर हम यह मानते हैं और स्वयं पर यह विश्वास करते हैं कि हम कुछ भी कर सकते हैं तो हमारे लिए नामुमकिन कुछ भी नहीं....
Nothing is Impossible...
Jindagee Badalane Vaalee Kahaaniyaan...
Asambhav Kuchh Bhee Nahin.
Kya aap jaanate hain ki haathee ka bachcha jab chhota hota hai to use lohe kee janjeer se baandh diya jaata hai. Vah chhota bhee hai aur kamajor bhee. Vah us janjeer ko todane kee koshish karata hai lekin todakar bach nahin paata. Vahee haathee ka bachcha jab bada aur shaktishaalee ho jaata hai to use ek chhotee see rassee se baandh diya jaata hai jise vah aasaanee se tod sakata hai. Lekin vah us rassee ko nahin todata aur bandha rahata hai.
Kuchh bhee asambhav nahin hai...
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