सबसे आम वजह नसों में कमजोरी या खून के सही संचार में रुकावट है। जब नसें कमजोर होती हैं तो दिमाग से पैरों तक संदेश सही तरह से नहीं पहुंच पाते। इसके अलावा, शरीर में कुछ जरूरी तत्वों की कमी भी इसका बड़ा कारण है।
कौन-कौन सी कमी से पैरों में बेचैनी होती है
सबसे ज्यादा असर विटामिन बी12 की कमी से पड़ता है। बी12 नसों को ताकत देता है। अगर यह कम हो जाए तो पैरों में सुन्नपन, झनझनाहट या करंट जैसा अहसास होता है।
दूसरी वजह विटामिन डी3 की कमी हो सकती है। इससे हड्डियां कमजोर होती हैं और नसों में दर्द या थकान बढ़ जाती है। तीसरी कमी मैग्नीशियम और आयरन (लोहा) की होती है। अगर खून में आयरन कम है तो पैरों में बार-बार खिंचाव आता है और रात में बेचैनी बढ़ जाती है।
कई बार ज्यादा चाय, कॉफी या सुपारी खाने से भी नसों पर बुरा असर पड़ता है। बैठे-बैठे ज्यादा वक्त बिताना, शरीर में पानी की कमी और तनाव भी पैरों की बेचैनी बढ़ा देते हैं।
पैरों में बेचैनी के और भी कारण
पैरों की बेचैनी सिर्फ चाय या कॉफी ज्यादा पीने से ही नहीं होती। इसके और भी कई कारण हो सकते हैं। कई लोग दिनभर बैठे रहते हैं, कम चलते हैं या एक ही जगह पर पैर लटका कर घंटों तक काम करते रहते हैं — इससे पैरों की नसों में खून का सही बहाव रुक जाता है। इसके कारण भी पैरों में झनझनाहट या बेचैनी बढ़ती है।
कभी-कभी कुछ दवाइयों के साइड इफेक्ट से भी पैरों में बेचैनी हो सकती है। जैसे ज्यादा दर्द निवारक गोलियां, कुछ एंटीबायोटिक या तनाव कम करने वाली दवाइयाँ नसों को कमजोर बना देती हैं।
जिन लोगों को डायबिटीज है, उन्हें भी पैरों में सुन्नपन और बेचैनी ज्यादा होती है, क्योंकि शुगर बढ़ने से नसें धीरे-धीरे कमजोर पड़ने लगती हैं। थायरॉइड की गड़बड़ी या ज्यादा तनाव में रहना भी इसकी वजह बन सकता है।
कुछ लोगों में यह परेशानी आनुवांशिक भी हो सकती है — मतलब माता-पिता को अगर ऐसी दिक्कत रही है तो बच्चों में भी यह हो सकती है।
ज्यादा शराब या तंबाकू, सुपारी खाने की आदत से भी नसों पर बुरा असर पड़ता है। शरीर में पानी कम हो जाए तो मांसपेशियों में खिंचाव आता है और रात में पैर ज्यादा बेचैन रहते हैं।
इसलिए जरूरी है कि सिर्फ चाय या कॉफी ही नहीं, बल्कि बाकी आदतें भी ठीक की जाएँ — जैसे ज्यादा देर बैठे न रहें, रोज हल्की कसरत करें, सही खानपान रखें और शरीर में पानी की कमी न होने दें।
पैरों की बेचैनी दूर करने के आसान घरेलू उपाय
सबसे जरूरी है कि शरीर में जो कमी है, उसे धीरे-धीरे पूरा किया जाए। अगर बी12 या डी3 की कमी है तो डॉक्टर से सलाह लेकर इंजेक्शन या टैबलेट से पूरा कोर्स करना चाहिए। जल्दी असर चाहिए तो खाने-पीने में बदलाव भी जरूरी है।
रोज थोड़ा टहलना चाहिए। हर दो घंटे में 5-10 मिनट पैर सीधा करके खींचना चाहिए। गरम पानी में पैर 10 मिनट डालकर रखना और फिर सरसों तेल या नारियल तेल से हल्की मालिश करना बहुत फायदा करता है।
सोने से पहले एक गिलास गरम दूध में जायफल पाउडर या हल्दी डालकर पीना भी अच्छा रहता है। यह नसों को शांत करता है और नींद बेहतर आती है।
हरी पत्तेदार सब्जियां, चुकंदर, अंकुरित मूंग, केला और सूखे मेवे खाने से खून और नसों को ताकत मिलती है। ज्यादा नमक, चीनी, चाय और कॉफी से दूर रहें। सुपारी या तंबाकू की आदत भी छोड़ दें।
अगर रात में बेचैनी ज्यादा बढ़ जाए तो पैर उठाकर तकिये पर रखकर कुछ देर आराम करें। इससे पैरों में खून का बहाव सही होता है।
कब डॉक्टर को दिखाना चाहिए
अगर पैरों में सुन्नपन बढ़ता जा रहा है, चलने में कमजोरी महसूस हो रही है या पेशाब-पखाना पर कंट्रोल नहीं रह रहा तो तुरंत डॉक्टर से मिलना चाहिए। कई बार यह नसों में किसी और बड़ी दिक्कत का संकेत हो सकता है।
नियमितता जरूरी है
पैरों की बेचैनी एक-दो दिन में नहीं जाती। शरीर को वक्त देना पड़ता है। सही खान-पान, हल्की कसरत, गरम पानी की सिकाई और चिंता को दूर रखना — यही सबसे सच्चा इलाज है। दवाइयां भी तभी असर करती हैं जब दिनचर्या सही हो।
अगर आप ये बातें नियमित रूप से अपनाएँगे तो कुछ ही हफ्तों में पैरों में फिर से जान लौटने लगेगी और रात की नींद भी बेहतर होगी।
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