किन उपायों से होने वाला बच्चा सुंदर - स्वस्थ हो-
मां-बाप की यही उम्मीद होती है कि उस की भावी संतान सुंदर , सुशील व सर्वगुण संपन्न हो। इसके लिए वह हर संभव कोशिश करता है। लेकिन भावी संतान कैसी होगी यह सब कुछ ऊपर वाले के हाथ में होता हैं। अगर इंसान के हाथ में यह सब होता तो हर व्यक्ति अपनी संतान को अपनी इच्छा के अनुसार ही ढाल लेता ।
कई बार देखा गया है कि माता-पिता चाहते हैं कि सिर्फ बच्चा हो जाए चाहे उसके लिए कितनी ही दवाइयां लेनी पड़े। जो बच्चा दवाइयां खाकर जन्म लेता है वह आजीवन दवाई खाता रह जाता है। यदि आप माता-पिता बनना चाहते हैं तो प्राकृतिक तरीका अपनाएं ।
आपको पता होना चाहिए कि हमारे पुराणों में वास्तु का भी बड़ा महत्व होता है। अगर आपके घर का वास्तु ठीक नहीं है तो भी बच्चा नहीं होता है, चाहे आप कितनी ही दवाइयां कर लें। अगर आप घर नहीं बदल सकते तो अपना रूम बदल लीजिए। अगर आप घर के ईशान कोण में रहते हैं तो वहां बच्चे का योग नहीं होता है या काफी ज्यादा कोशिशों के बाद अगर बच्चा हुआ तो वहां बेटी पैदा होती है या घर के अग्निकोने में भूमि में पानी की टंकी होने या बाथरूम होने से भी बच्चा होने में परेशानी होती है। बच्चा नहीं होता।
पहले के जमाने में खासकर भारत में लोग अमावस्या, पूनम, एकादशी व्रत रखते थे। हमारे ऋषि मुनी बहुत ज्ञानी थे। उन्होंने कुछ नियम बनाए थे कि कुछ खास दिनों में लोग व्रत रखा करते थे। व्रत रखने का कारण ही यही था कि उस दिन पवित्रता का पालन करेंगे। आजकल कोई इन दिनों को नहीं मानता।
इसके पीछे के क्या कारण होते हैं?
कई बार कुछ ऐसे पर्व या तिथियां होती हैं अगर उन दिनों में (कंसीव) गर्भधारण हो जाता है तो होने वाली भावी संतान शारीरिक रूप से विकलांग होती है।
माना जाता है कि अगर कोई स्त्री अमावस्या, पूर्णिमा, चतुर्दशी और अष्टमी तिथि को स्त्री-समागम न करें। दिन में तथा ऋतुकाल (period) के समय में समागम ना करें। उन दिनों में होने वाली संतान विकलांग होती है।
माना जाता है कि अगर कोई स्त्री अमावस्या, पूर्णिमा, चतुर्दशी और अष्टमी तिथि को स्त्री-समागम न करें। दिन में तथा ऋतुकाल (period) के समय में समागम ना करें। उन दिनों में होने वाली संतान विकलांग होती है।
आप सोचेंगे कि यह सब कोरी बातें हैं। पर आप ही सोचिए वर्ष में ऐसे कई महत्वपूर्ण दिन और रात हैं जिनका धरती और मानव मन पर गहरा प्रभाव पड़ता है। उनमें से ही सबसे महत्वपूर्ण दिन है पूर्णिमा। आइए जानें क्या होता है पूर्णिमा के दिन.... चांद का धरती के जल से संबंध है। जब पूर्णिमा आती है तो समुद्र में ज्वार-भाटा उत्पन्न होता है, क्योंकि चंद्रमा समुद्र के जल को ऊपर की ओर खींचता है।
जानकार लोग तो यह कहते हैं कि चौदस, पूर्णिमा और प्रतिपदा उक्त 3 दिन पवित्र बने रहने में ही भलाई है।
वैसै ही अमावस्या के दिन दानवी आत्माएं ज्यादा सक्रिय रहती हैं, तब मनुष्यों में भी दानवी प्रवृत्ति का असर बढ़ जाता है। इसीलिए उक्त दिनों में व्यक्ति के मन-मस्तिष्क को धर्म की ओर मोड़ दिया जाता है। जानकार लोग तो यह कहते हैं कि चौदस, अमावस्या और प्रतिपदा उक्त ये 3 दिन भी पवित्र बने रहने में ही भलाई है।
जानकार लोग तो यह कहते हैं कि चौदस, पूर्णिमा और प्रतिपदा उक्त 3 दिन पवित्र बने रहने में ही भलाई है।
वैसै ही अमावस्या के दिन दानवी आत्माएं ज्यादा सक्रिय रहती हैं, तब मनुष्यों में भी दानवी प्रवृत्ति का असर बढ़ जाता है। इसीलिए उक्त दिनों में व्यक्ति के मन-मस्तिष्क को धर्म की ओर मोड़ दिया जाता है। जानकार लोग तो यह कहते हैं कि चौदस, अमावस्या और प्रतिपदा उक्त ये 3 दिन भी पवित्र बने रहने में ही भलाई है।
पहले के जमाने में बुजुर्ग लोग शादी करवाने से पहले गोत्र पूछते थे। कारण यह था कि शादी करने से पहले दोनों परिवार के गोत्र का खास ख्याल रखा जाता था। गोत्र के साथ-साथ हिंदू धर्म में दूर-दूर तक सगे रिश्ते में शादी नहीं करने की परंपरा निभाई जाती थी, जिसके मुताबिक किसी भी लड़के या लड़की की शादी दूसरे गोत्र में ही होनी चाहिए।
अगर आप अच्छी संतान को जन्म देना चाहते हैं तो कभी भी दोपहर के वक्त गर्भधारण करने की कभी चेष्ठा न करें।
नजदीकी खून के रिश्ते में शादी के कारण भी बच्चे में समस्या हो सकती है। यह भी एक सच्चाई है।
अगर आप अच्छी संतान को जन्म देना चाहते हैं तो कभी भी दोपहर के वक्त गर्भधारण करने की कभी चेष्ठा न करें।
हिंदू धर्म के अनुसार कर्मों को भी हम नकार नहीं सकते। पर हमने पिछले जन्म में कौनसे कर्म किए हैं, ये हमें नहीं पता... पर उपर लिखी गई बातों में भी प्रामाणिक सच्चाई है। पिछला जन्म हमने नहीं देखा पर अभी का समय तो हमारे हाथ में है। तो क्यों ना हम इन बातों को अपनाएं।
कहते हैं नसीब का भी बहुत बड़ा हाथ होता है जीवन में, इसलिए अपने भाग्य पर भरोसा और ईश्वर पर भरोसा रखें और इन नियमों का पालन करें, सफलता जरूर मिलेगी।
कहते हैं नसीब का भी बहुत बड़ा हाथ होता है जीवन में, इसलिए अपने भाग्य पर भरोसा और ईश्वर पर भरोसा रखें और इन नियमों का पालन करें, सफलता जरूर मिलेगी।
BACHCHA APAHIJ YA MANDBUDHI KYO PAIDA HOTA HAI?
Maan-baap Kee Yahee Ummeed Hotee Hai Ki Us Kee Bhaavee Santaan Sundar ,susheel Va Sarvagun Sampann Ho. Isake Lie Vah Har Sambhav Koshish Karata Hai. Lekin Bhaavee Santaan Kaisee Hogee Yah Sab Kuchh Oopar Vaale Ke Haath Mein Hota Hain.
Agar Insaan Ke Haath Mein Yah Sab Hota To Har Vyakti Apanee Santaan Ko Apanee Ichchha Ke Anusaar Hee Dhaal Leta . Kaee Baar Dekha Gaya Hai Ki Maata-pita Chaahate Hain Ki Sirph Bachcha Ho Jae Chaahe Usake Lie Kitanee Hee Davaiyaan Lenee Pade. Jo Bachcha Davaiyaan Khaakar Janm Leta Hai Vah Aajeevan Davaee Khaata Rah Jaata Hai.
Yadi Aap Maata-pita Banana Chaahate Hain To Praakrtik Tareeka Apanaen . Aapako Pata Hona Chaahie Ki Hamaare Puraanon Mein Vaastu Ka Bhee Bada Mahatv Hota Hai. Agar Aapake Ghar Ka Vaastu Theek Nahin Hai To Bhee Bachcha Nahin Hota Hai, Chaahe Aap Kitanee Hee Davaiyaan Kar Len. Agar Aap Ghar Nahin Badal Sakate To Apana Room Badal Leejie. Agar Aap Ghar Ke Eeshaan Kon Mein Rahate Hain To Vahaan Bachche Ka Yog Nahin Hota Hai Ya Kaaphee Jyaada Koshishon Ke Baad Agar Bachcha Hua To Vahaan Betee Paida Hotee Hai Ya Ghar Ke Agnikone Mein Bhoomigat Paanee Kee Tankee Hone Se Bhee Bachcha Nahin Paida Hota.
Pahale Ke Jamaane Mein Khaasakar Bhaarat Mein Log Amaavasya, Poonam, Ekaadashee Vrat Rakhate The. Hamaare Rshi Munee Bahut Gyaanee The. Unhonne Kuchh Niyam Banae The Ki Kuchh Khaas Dinon Mein Log Vrat Rakha Karate The. Vrat Rakhane Ka Kaaran Hee Yahee Tha Ki Us Din Pavitrata Ka Paalan Karenge. Aajakal Koee In Dinon Ko Nahin Maanata.
Isake Peechhe Ke Kya Kaaran Hote Hain? Kaee Baar Kuchh Aise Parv Ya Tithiyaan Hotee Hain Agar Un Dinon Mein (Kanseev) Garbhadhaaran Ho Jaata Hai To Hone Vaalee Bhaavee Santaan Shaareerik Roop Se Vikalaang Hotee Hai. Maana Jaata Hai Ki Agar Koee Stree Jis Tarah Se Amaavasya, Poornima, Ekaadashee Vaale Din Kanseev Kar Letee Hai To Un Dinon Mein Hone Vaalee Santaan Vikalaang Hotee Hai. Aap Sochenge Ki Yah Sab Koree Baaten Hain. Par Aap Hee Sochie Varsh Mein Aise Kaee Mahatvapoorn Din Aur Raat Hain Jinaka Dharatee Aur Maanav Man Par Gahara Prabhaav Padata Hai. Unamen Se Hee Sabase Mahatvapoorn Din Hai Poornima.
Aaie Jaanen Kya Hota Hai Poornima Ke Din.... Chaand Ka Dharatee Ke Jal Se Sambandh Hai. Jab Poornima Aatee Hai To Samudr Mein Jvaar-bhaata Utpann Hota Hai, Kyonki Chandrama Samudr Ke Jal Ko Oopar Kee Or Kheenchata Hai. Jaanakaar Log To Yah Kahate Hain Ki Chaudas, Poornima Aur Pratipada Ukt 3 Din Pavitr Bane Rahane Mein Hee Bhalaee Hai. Vaisai Hee Amaavasya Ke Din Daanavee Aatmaen Jyaada Sakriy Rahatee Hain, Tab Manushyon Mein Bhee Daanavee Pravrtti Ka Asar Badh Jaata Hai. Iseelie Ukt Dinon Mein Vyakti Ke Man-mastishk Ko Dharm Kee Or Mod Diya Jaata Hai.
Jaanakaar Log To Yah Kahate Hain Ki Chaudas, Amaavasya Aur Pratipada Ukt Ye 3 Din Bhee Pavitr Bane Rahane Mein Hee Bhalaee Hai. Pahale Ke Jamaane Mein Bujurg Log Shaadee Karavaane Se Pahale Gotr Poochhate The. Kaaran Yah Tha Ki Shaadee Karane Se Pahale Donon Parivaar Ke Gotr Ka Khaas Khyaal Rakha Jaata Tha. Gotr Ke Saath-saath Hindoo Dharm Mein Door-door Tak Sage Rishte Mein Shaadee Nahin Karane Kee Parampara Nibhaee Jaatee Thee, Jisake Mutaabik Kisee Bhee Ladake Ya Ladakee Kee Shaadee Hindoo Dharm Ke Doosare Gotr Mein Hee Honee Chaahie. Najadeekee Khoon Ke Rishte Mein Shaadee Ke Kaaran Bhee Bachche Mein Samasya Ho Sakatee Hai. Yah Bhee Ek Sachchaee Hai.
Agar Aap Achchhee Santaan Ko Janm Dena Chaahate Hain To Kabhee Bhee Dopahar Ke Vakt Garbhadhaaran Karane Kee Kabhee Cheshtha Na Karen.
Hindoo Dharm Ke Anusaar Karmon Ko Bhee Ham Nakaar Nahin Sakate. Par Hamane Pichhale Janm Mein Kaunase Karm Kie Hain, Ye Hamen Nahin Pata... Par Upar Likhee Gaee Baaton Mein Bhee Praamaanik Sachchaee Hai. Pichhala Janm Hamane Nahin Dekha Par Abhee Ka Samay To Hamaare Haath Mein Hai. To Kyon Na Ham In Baaton Ko Apanaen. Kahate Hain Naseeb Ka Bhee Bahut Bada Haath Hota Hai Jeevan Mein, Isalie Apane Bhaagy Par Bharosa Aur Eeshvar Par Bharosa Rakhen Aur In Niyamon Ka Paalan Karen, Saphalata Jaroor Milegee.
SARAL VICHAR
"संतान सुख: जन्म देने के लिए धार्मिक और वैज्ञानिक तरीके"
संतान के लिए वैदिक और पौराणिक सुझाव: खास नियम और परंपराएं"
"संतान सुख की प्राप्ति के लिए धार्मिक और परंपरागत सूत्र"
बच्चे की योग्यता का महत्व: संतान के जन्म में पुराणों और परंपराओं का रोल
"संतान संबंधित नियमों और परंपराओं का महत्व"
"आपके जीवन में संतान की प्राप्ति के लिए अच्छे कारण और नियम"
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