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जीवन के लिए जरुरी बातें | JIVAN KE LIYE JARURI BATEN | ESSENTIAL THINGS FOR LIFE |) SARAL VICHAR

जीवन के लिए जरुरी बातें | JIVAN KE LIYE JARURI BATEN |  ESSENTIAL THINGS FOR LIFE |)  www.saralvichar.in

* नियती तो यही कहती है कि अधिक पाना है। इसके लिए बहुत खतरा उठाना पड़ता है। कुछ लोग खतरा नहीं उठाते। जीवन जैसे चल रहा है, बस जीते चले जाते हैं। किंतु जो प्रगति करना चाहते हैं, उपर उठना चाहते हैं तो जो कुछ उनके पास है उसे दांव पर लगाने से नहीं डरते । संभावना है कि हार जाएं, कुछ न कर पाएं वे। पर यह जो कुछ कर दिखाने का प्रयास ही उन्हें औरों से अलग बनाता है। भले ही वे हार जाएं, पर यह संतोष उनसे कौन छीन सकता है कि उन्होंने कुछ अच्छा कर दिखाने का प्रयास तो किया ।


* यदि तुम एकाग्रचित्त हो सको, अपने शरीर के साथ-साथ अपने मन पर भी अधिकार कर लो तो यह साधारण शरीर भी असाधारण कार्य कर सकता है। चाहे जितनी पीड़ा हो । यदि तुम्हारा मन उस पीड़ा को मानो ही न । इतिहास में कई ऐसे वीरों का विवरण है जिनका सिर धड़ से अलग हो गया, किंतु वे युद्ध में लड़ते रहे । रक्त की अंतिम बूंद तक लड़ते रहे । उन याद्धाओं को गर्व करवाओ, बता दो उन्हें कि अब तुमने संभाला है उनका उत्तरदायित्व ।

* कठिन पथ पर चलने पर कई बार धैर्य टूट जाता है। हृदय विचलित होने लगता है। कई बार हम  स्वयं से ही प्रश्न पूछ बैठते हैं। किंतु हमारा ध्यान सदैव लक्ष्य पर ही बना रहे । फिर लक्ष्य चाहे कितनी ही दूर क्यों न हो।

* यदि विजेता होने का अभिमान छोड़ दोगे तो पराजय की निराशा से बच जाओगे । यदि कर्ता होने का अभिमान छोड़ दो तो भोक्ता होने से बच जाओगे ।

* जीवन का विकास युद्धों के विजय में नहीं, निरंतर ज्ञान की उपासना ही जीवन का विकास है। वह युद्ध चाहे जीवन के संघर्षों से ही क्यों न हो। 

* जो मनुष्य संगीत, साहित्य और कला से विहीन है वह साक्षात पशु के समान है। यद्यपि उसके पूंछ और सींग नहीं है । फिर भी वे पशु, मनुष्य रूप में इस धरती पर विचरण करते हैं, वे केवल इस धरती पर बोझ समान हैं।

* हे मनुष्य धर्म का पालन कर, क्योंकि उसी से तुझे सभी सुख मिलेंगे।

* पृथ्वी पर कई जीव मनुष्य से अधिक बलवान थे, गाय बैल, शेर, हाथी। किंतु पृथ्वी पर राज तो  सिर्फ मनुष्यों ने ही किया है अपनी बुद्धि से। हे मनुष्य, तुम्हें भी बुद्धि से लड़ने वाला योद्धा बनना है। तुम्हें अपने आत्मिक बल से वह सब कुछ पाना है जिसकी साधारण मनुष्य कल्पना भी न कर सके।

* आदर्श राजा वह है जिसका तन, मन और आत्मा तीनों दृढ़ हों। यदि राजा तन से दुर्बल हुआ तो अपनी सेना को नहीं संभाल पाएगा ना ही सीमाओं को संभाल पाएगा।

यदि उसका मन दुर्बल और अस्थिर हुआ तो वह अपनी ही चिंताओं से पराजित होता रहेगा ।

यदि राजा की आत्मा निर्बल है तो वह अपनी निर्बल प्रजा को सबल नहीं बना पाएगा।

यहां पर जिसे राजा कहा गया है वह हम ही तो हैं। हमारा शरीर ही तो राजा है। हमें तन, मन और आत्मा से दृढ़ होना चाहिए। तभी तो हम इस दुनिया को जीत पाएंगे। वरना न तो अपनी इंद्रियों पर काबू कर सकेंगे ना ही मन को काबू कर पाएंगे । भावनाओं में भी हमें नहीं बहना चाहिए। जैसा मन ने कहा वैसा कर लेने से भी अधिकतर कष्ट ही मिलता है। मन से मजबूत होंगे तो अपने शरीर रुपी सैनिक को वश में कर पाएंगे। हमारा शरीर भले बीमार भी होता है किंतु अगर हमारी आत्मा कमजोर नहीं है तो बिमारी भी हमें कष्ट नहीं देती।


 

 

SARAL VICHAR

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