चाणक्य नीति
जब आप गुस्से में हों तब कोई फैसला ना लें और जब आप खुश हों तब किसी से वादा न करें।
जो तुम्हारी बात सुनते हुए इधर-उधर देखे उस पर
कभी विश्वास न करें।
सोने में सुगंध, चंदन में फूल, धनी विद्वान और दीर्घजीवी राजा को विधाता ने बनाया ही नहीं ।
अपने कार्य की शीघ्र सिद्धी चाहने वाला व्यक्ति नक्षत्रों की प्रतिक्षा नहीं करता।
स्वयं अपनी कमजोरी को कभी भी उजागर न करें।
आपका खुश रहना ही आपके दुश्मनों के लिए सबसे बड़ी सजा है।
अधिक सीधा-साधा होना भी अच्छा नहीं होता है। सीधे वृक्ष काट लिए जाते हैं और टेढ़े वृक्ष खड़े रह जाते हैं।
बहुत से लोग अपने चाहने वाले को जैसे: किसी करीबी रिश्तेदार को या अपनी पत्नी को अपनी कमजोरी बता देते हैं, जिसका वह लोग बड़ी आसानी से फायदा उठा लेते हैं। अपनी कमजोरी को छिपा कर रहें।
किसी भी मनुष्य की वर्तमान स्थिति देखकर उसके भविष्य का उपहास मत उड़ाओ। क्योंकि काल में इतनी शक्ति है कि वो भी एक मामूली से कोयले को धीरे धीरे हीरे में बदल देती है।
समस्या को जड़ से खत्म करें!
एक बार चाणक्य अपने शिष्यों के साथ जंगल के रास्ते कहीं जा रहे थे तभी उनके पैरों में कांटा गड़ गया। उन्हें बहुत गुस्सा आया। उन्होंने अपने शिष्यों से कहा:- इन सारे कांटो को उखाड़ कर फेंक दो,
और जाओ कही से छाछ (दही से मथने के बाद छाछ निकलता हैं) ढूंढ कर लेकर आओ। शिष्यों को समझ में नहीं आया कि गुरूजी छाछ क्यों मंगवा रहे हैं?
उनके शिष्यों ने जैसे-तैसे छाछ ढूंढ कर लाए और चाणक्य से पूछा कि गुरूजी आपने छाछ क्यों मंगवाए हैं, इसका क्या काम हैं यहां पर?
चाणक्य ने काँटे वाली जगह के चारों तरफ छाछ डाल दिया और अपने शिष्यों को समझाया कि जब तुमने काँटे की डालियां काटी हैं तो यह फिर भी थोड़े दिनों के बाद वापस से उग जाएगे।
लेकिन अब मैंने इसपर छाछ डाल दिया है तो कुछ ही देर के बाद चिट्टियां यहां आ जाएगी और कांटे के तनों के साथ इसके जड़ को भी खा जाएगी।
फिर यहां पर कांटे दुबारा से उग नहीं पाएंगे और जड़ सहित खत्म हो पाएंगे।
इसलिए हमेशा याद रखें कि जीवन में समस्या को सिर्फ Solve ना करें जबकि समस्या को जड़ से खत्म करने का कोशिश करें।
SADHU VASWANI ONLINE
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