आजकल डिप्रेशन (तनाव) लोगों में ज्यादा हो गया है। पुरुषों के मुकाबले महिलाएं अवसाद की शिकार होती हैं।
आखिर अवसाद के कारण क्या हैं?
ऐसे बहुत से लोग हैं जो अपनी नौकरी या व्यवसाय से संतुष्ट नहीं हैं।
जो सामाजिक संबंधों को महत्व नहीं देते। जिनके मित्र नहीं हैं।
कोई शौक या रुचियां नहीं हैं। कुछ करने का भी मन नहीं होता।
अपना ज्यादातर समय घर में अकेले बैठकर गुजार देते हैं। क्योंकि उन्हें कहीं जाना पसंद नहीं होता।
जब हम सोचते हैं कि हम कमजोर हैं या हमारी समस्याओं का कोई हल नहीं है...तब डिप्रेशन होता है।
कुछ कारण यह भी...
कभी-कभी सामान्य चल रहे आपके जीवन में अचानक ऐसा परिवर्तन आता है जिसके लिए आप मानसिक रूप से तैयार नहीं होते और डिप्रेशन का शिकार जाते हैं।
जैसे एक युवती शादी से पहले नौकरीपेशा हो, जिसने अपना एक आलीशान मकान हासिल करने के सपने देखें हों।
या शादी के बाद नौकरी छोड़ने के लिए बाध्य किया जाए।
या फिर रिटायर होने के बाद जीवन में अचानक खालीपन आ जाए।
अथवा माता-पिता की इकलौती संतान नौकरी के लिए बहुत दूर चली जाए आदि।
जीवन में इस तरह का अप्रत्याशित नकारात्मक बदलाव आने पर व्यक्ति टूट जाता है। उसे लगता है उसका जीवन अर्थहीन हो गया है। यही भावना जन्म देती है डिप्रेशन को।
तो कई बार किसी विपरित परिस्थिति को और बिगड़ने से बचाने के लिए हम ऐसे निर्णय ले लेते हैं जिनसे कम से कम नुकसान हो जैसे- बहुत से विफल दाम्पत्य संबंधों का आधार ऐसी ही स्थिति होती है। जब पति-पत्नि के बीच दूरियां बढ़ने लगती हैं तो बहुत से दंपती अपने संबंधों को सुधारने का प्रयास करने के बजाए उसे वैसे ही स्वीकार कर लेते हैं। वे अपने संबंधों में किसी भी प्रकार का परिवर्तन लाने से कतराते हैं और निष्क्रिय लक्ष्यहीन जीवन जीते रहते हैं। वे लोग अक्सर भविष्य के बारे में निराशावादी होते हैं। उन्हें लगता है कि कुछ भी अच्छा नहीं होने वाला है।
ऐसी परिस्थतियां आएं तो क्या करें...
अपने आपको ऐसे कार्यों में व्यस्त रखें जो आपको आनंद व संतुष्टि दे।
ऐसे लोगों से संबंध बढ़ाएं जिनकी जीवन शैली आपको आशावादी जीवन जीने के लिए प्रेरित करे।
अक्सर डिप्रेशन की स्थिति में हमारी सोचने-समझने की शक्ति भी कमजोर हो जाती है और हम सोच लेते हैं कि हमारी समस्याओं का कोई हल नहीं है किंतु आप अपने वातावरण में थोड़ा परिवर्तन लाकर देखिए आपकी सोच में स्वत: ही परिवर्तन आने लगेगा।
डिप्रेशन तो तब भी होता है जब हमें लगता है कि हम अपनी समस्याओं के लिए सिर्फ हम ही जिम्मेदार हैं।
कारण कोई भी हो सकता है पर इसका अर्थ यह नहीं कि इस समस्या का कोई हल ही नहीं है।
* किसी मनोवैज्ञानिक (psychologist) से बात करना डिप्रेशन से उबरने में बहुत मदद करता है।
* कुछ मामलों में दवाएं डिप्रेशन के लक्षणों को कम करने में मदद कर सकती है।
* नियमित व्यायाम पर्याप्त नींद और अच्छा खान-पान हमें डिप्रेशन से लड़ने में सहायता करता है।
* दोस्तों और परिवार के साथ समय बिताना बहुत महत्वपूर्ण है।
हमारे बहुत ज्यादा सोचने से भी यह समस्या होती है हमारे सोचने से कुछ होता भी नहीं है। व्यर्थ की चिंताएं हमारी शक्ति को खत्म कर देती है।
हम आने वाले भविष्य को लेकर भी ज्यादा चिंतित होते हैं। किंतु होगा वही जो होना होगा। जो निश्चित हो चुका है। हमारे सोचने से वह चीज होती भी नहीं है फिर हम क्यों सोचते रहते हैं। और कुछ भी अमंगल नहीं होगा यह तय है।
हमारा जीवन बहुत कीमती है। इस अच्छे कामों में लगाओ। जीवन में उत्साह को कभी कम न होने दें। क्योंकि...दुनिया में खुश रहना हमारा भी हक है।
सरल विचार
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