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स्वामी विवेकानंद की पांच प्रेरणादायी बातें | 5 Baatein Jo Zindagi Badal Dein

स्वामी विवेकानंद की पांच प्रेरणादायी बातें | Five Inspirational Sayings Of Swami Vivekananda In Hindi By Saral Vichar

स्वामी विवेकानंद जी ने कहा था कि दुनिया अच्छी बात का सबसे पहले मजाक उड़ाती है उसके बाद उसका विरोध करती है और आखिर में जाकर स्वीकार कर लेती है।


विवेकानंद जी मात्र 39 वर्ष के थे। जब वे इस दुनिया से चले गए पर इन मात्र 39 वर्षों में इस दुनिया को इतने अच्छे और शानदार विचार दिए हैं कि अगर आप किसी एक पर भी अमल कर ले तो शायद आपकी जिंदगी हमेशा के लिए बदल जाएगी।

वैसे तो हम की कई बातें हैं पर यहां सिर्फ पांच बातें बताई जा रही हैं सीखने वाली। सबसे बड़ी बात स्वामी जी ने कही है वह है कि इंसान के अंदर दया का भाव होना चाहिए,दूसरों की मदद करने का भाव होना चाहिए।

एक बार स्वामी विवेकानंद जी की माता जी ने उसे चाकू मांगा तो उन्होंने उस चाकू का नुकीला भाग अपनी तरफ रखा और कवरवाला भाग अपनी मां की तरह किया तो मां ने कहा बेटा तुम बड़े होकर बहुत लोगों की मदद करोगे स्वामी विवेकानंद जी ने कहा की ऐसा क्यों मां?
मां ने बताया कि तुमने ख्याल रखा कि तेरी मां को चोट ना लगे। जिस तरफ तेज धार थी वह अपने तरफ रखा। तुम तो अभी छोटे बच्चे हो। अभी से तुम्हें यह समझ में आता है।
ऐसे ही अगर आपके परिवार में भी कोई बच्चा या कोई और अच्छा काम करें तो उसकी तारीफ अवश्य करें ताकि आगे चलकर वे और अच्छे काम करें । अच्छा इंसान बने। सबसे जरूरी है हम इंसानों में इंसानियत का होना।

अपने लक्ष्य पर ध्यान लगाइए...
स्वामी विवेकानंद जी हमेशा यह बात कहते थे उठो जागो और तब तक ना रुको जब तक लक्ष्य की प्राप्ति ना हो जाए।
एक बार स्वामी विवेकानंद जी अपने आश्रम में विश्राम कर रहे थे तभी एक आदमी आया और कहने लगा कि मुझे साले जी से मिलना है बहुत जरूरी काम है स्वामी जी जागे तो उनके चरणों में वह आदमी गिर गए और कहने लगे कि मुझे समझाइए कि जिंदगी में कैसे अपनी मंजिल पर पहुंचूं। मैं अपने लक्ष्य को प्राप्त नहीं कर पा रहा हूं जो चाहता हूं वह मिल ही नहीं रहा है।
स्वामी जी ने उसे कहा एक काम करो यह मेरा पालतू का है इसे घुमा कर लो, फिर तुमसे बात करते हैं।
वह व्यक्ति उस कुत्ते को लेकर घूमने गया। जब वापस आया तो स्वामी जी ने उसे 2 सवाल किये।
पहला सवाल था कि तुम तो बिल्कुल भी थके हुए नहीं लग रहे।
अब दूसरा सवाल यह कुत्ता हांफ क्यों रहा है।
उस व्यक्ति ने कहा कि मैं बाहर गया। मैं सीधा अपने रास्ते पर चल रहा था। थोड़ा घूम कर वापस आ गया। जबकि यह कुत्ता इस तरफ, उस तरफ जा रहा था। कोई भी चीज दिख रही थी तो वह उस तरफ जा रहा था। इसीलिए यह दौड़ने की वजह से हांफ गया है।
स्वामी जी ने कहा बस इसी घटना में तुम्हारे जीवन का सार है। तुम्हें तुम्हारी मंजिल सामने दिख रही है। तुम भी उस से भटक जाते हो। कभी इधर कभी उधर। कभी दूसरा टारगेटेड कभी तीसरा और जहां पहुंचना है जो चीज पाना चाहते हो वहां तक पहुंच नहीं पाते। अगर तुम ऐसे ही दौड़ते ही रहोगे तो थोड़े ही वक्त में तुम हांफने लगोगे। अगर सीधे चलते रहोगे तो मंजिल पर पहुंच जाओगे।

गुरु के प्रति समर्पित
जिंदगी में अपने गुरु को कभी मत भूलना आज के जमाने में बहुत सारे लोग जब पोजीशन पर पहुंच जाते हैं तो उन्हें लगता है उन्होंने हमें सिखाया उनका काम था सिखाना। अब उनका क्या काम... उन्होंने सिखा दिया हम आगे बढ़ गए और वह भूल जाते हैं।
हम यह भूल जाते हैं हम भी वही है जिसने हमें रास्ता दिखाया रास्ते पर चलना सिखाया। मंजिल पर अगर पहुंचे हैं तो गुरु का सबसे महत्वपूर्ण रोल है। स्वामी विवेकानंद जी अपने गुरु रामकृष्ण परमहंस जी के लिए के लिए जिंदगी भर समर्पित रहे।

--एक बार उनके गुरु भाई थे साथ में जिन्होंने शिक्षा ली थी । रामकृष्ण जी की सेवा करते वक्त उनके माथे पर शिकन आई थी कि हमें सेवा करनी पड़ रही है नाक मुंह सिकोड़ रहे थे।
स्वामी विवेकानंद जी ने सोचा मैं अपने सारे गुरु भाइयों को भी पाठ सिखाऊंगा। रामकृष्ण जी की तबीयत अंत में बहुत खराब हुई थी । बहुत तकलीफ थी उनको पर स्वामी विवेकानंद जी हमेशा ही उनके साथ होते थे उनकी हर तरह की सेवा करते थे । उनके परिवार की स्थिति ठीक नहीं थी फिर भी वे अंत समय तक गुरु के साथ थे।

इंटेलीजेंट बनें पर हंसी मजाक का साथ ना छोड़िए...
कई बार हम जिंदगी में इतने सीरियस हो जाते हैं कि भूल जाते हैं हंसना भी जरूरी है। स्वामी विवेकानंद जी एक बार विदेश में एक रेस्टोरेंट में गए वहां पर एक फॉरेन ऑफिसर भी बैठा हुआ था। वह ऑफिसर कहने लगा कि मैं ऐसे होटल में खाना नहीं खाऊंगा जहां सूअर और चिड़िया साथ में खाना खाते हैं।
स्वामी विवेकानंद जी ने कहा तो इसका मतलब यह है कि मैं उड़कर चला जाऊं। यह सुनकर वहां पर हंसी का माहौल हो गया सब लोग हंसने लगे।
छोटा सा किस्सा है पर सिखाता है कि आपको हंसी मजाक करनी आती है तो आप ऐसी सिचुएशन से भी बाहर निकल सकते हैं जहां से निकलना कठिन हो । वहां पर भी माहौल बदल सकते हैं। इंटेलिजेंस के साथ में ह्यूमर (हास परिहास) की धार को भी साथ में रखिएगा यह आपको और अच्छा इंसान बनाएगी।

स्वामी विवेकानंद जी की पांच बातें।
1. चिंतन करो चिंता नये विचारों को जन्म दो।
2. एक समय पर एक काम करो उस काम को करते समय अपनी आत्मा को झकझोर दो अपनी पूरी ताकत के साथ उस काम को करने में लग जाओ।
3. उठो जागो और तब तक मत रुको जब तक अपने लक्ष्य की प्राप्ति ना हो जाए।
4. जब तक जीना तब तक सीखना।
5. यह दुनिया एक जिम है यहां हम अपने आप को मजबूत बनाने के लिए आए हैं।


उन्होंने कहा था अंत समय में ,,,,एक और विवेकानंद चाहिए यह समझने के लिए कि इस विवेकानंद ने अब तक क्या किया।

सरल विचार
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