Ticker

7/recent/ticker-posts

आज ही यह दुनिया बदलेगी | The World Will Change Today

आज ही यह दुनिया बदलेगी | The World Will Change Today  - www.saralvichar.in


युवा बदले तो युग बदले , खुद से शुरुआत करें।


कहा जाता है 

“अगर सूरज न बदले तो सुबह नहीं होती,

अगर युवा न बदले तो समाज नहीं बदलता।”


आज का युवा शिक्षित है, ऊर्जावान है, सपनों से भरा है,

फिर भी कई बार भ्रमित और निराश नज़र आता है।

समस्या यह नहीं कि युवाओं में शक्ति नहीं है,

बल्कि यह है कि वे अपनी पहचान और श्रम का मूल्य भूल गए हैं।


स्वावलंबन की असली परिभाषा


छोटे-छोटे काम अपने हाथों से करना,

मेहनत करने की प्रवृत्ति को जगाना , यही असली स्वावलंबन (आत्मनिर्भरता) है।

मनुष्य की तीन बुनियादी ज़रूरतें हैं -

रोटी, कपड़ा और मकान।

इनको पाने के लिए हर युवा का स्वावलंबी बनना आवश्यक है।

लेकिन विडंबना यह है कि अनपढ़ व्यक्ति मेहनत करके धन कमा लेता है,

जबकि  पढ़ा-लिखा युवक शिक्षित होकर भी बेरोजगार बैठा रहता है,

क्योंकि वह “श्रम” को छोटा समझता है।


यह समाज की सबसे बड़ी भूल है । जिस हाथ ने कलम पकड़ी, वह हाथ काम करने में हिचकिचाने लगा।

जबकि असली शिक्षा वही है, जो मेहनत करने का संस्कार सिखाए।


अपनी पहचान को पहचानो


एक बार एक शेर का बच्चा अपनी माँ से बिछड़ गया।

वह भटकते-भटकते भेड़ों के झुंड में जा मिला।

भेड़ों ने उसे अपने साथ रख लिया।

वह उन्हीं की तरह घास खाने लगा और डरने भी लगा।

धीरे-धीरे वह भूल गया कि वह शेर है।


एक दिन जंगल में एक असली शेर आया।

उसकी दहाड़ सुनकर सारी भेड़ें भाग गईं 

और वह शेर का बच्चा भी उनके साथ भागा।


शेर ने यह देखकर उसे पकड़ा और तालाब के पास ले गया।

उसने कहा “देखो पानी में अपनी परछाई, तुम भेड़ नहीं, शेर हो!”

उसने दहाड़ लगाई और कहा, “अब तुम भी दहाड़ो।”


पहले तो बच्चा डर गया, पर फिर उसने कोशिश की 

और उसकी आवाज़ जंगल में गूँज उठी।

उसे अपनी असली पहचान मिल गई।


यही कहानी आज के युवाओं की है।


आज के बहुत से युवा भी अपनी असली पहचान भूल चुके हैं।

वे परिस्थितियों, डर और समाज की सोच के कारण

अपने भीतर के “शेर” को दबा बैठे हैं।


लेकिन सच यह है कि हर युवा में अपार ऊर्जा, साहस और बुद्धि भरी है।

बस जरूरत है खुद पर विश्वास करने की, और मेहनत को अपनाने की।


अब सवाल है, युवा कैसे बदलें?


खुद पर विश्वास जगाइए

अगर आप खुद को कम आँकेंगे तो कोई और भी आपको ऊँचा नहीं देखेगा।

हर व्यक्ति के भीतर एक आग होती है उसे पहचानना ही सफलता का पहला कदम है।


डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम ने कहा था ...


“सपना वो नहीं जो सोते वक्त देखा जाए,

सपना वो है जो आपको सोने न दे।”


श्रम से मत डरिए।

काम कोई छोटा या बड़ा नहीं होता।

एक मिस्त्री, किसान या दर्जी , सब अपनी मेहनत से ही सम्मान पाते हैं।

पढ़े-लिखे युवक को चाहिए कि वह काम से नहीं, आलस्य से बचे।


क्योंकि...

 “जो श्रम से भागता है, वह सफलता से भी दूर भागता है।”

समय का मूल्य समझिए।

युवावस्था का हर पल कीमती है।

समय को सोशल मीडिया में गँवाने की बजाय

नई चीज़ें सीखने, अपनी क्षमताएँ बढ़ाने और समाज के काम में लगाइए।

 “जो युवा समय की कीमत समझता है, वही इतिहास में नाम लिखवाता है।”


संवेदना और करुणा को अपनाइए। अगर युवा के भीतर संवेदना जाग जाए  तो समाज खुद-ब-खुद बदल जाएगा।


वकील पैसे से ऊपर न्याय को देखेगा।


डॉक्टर फीस से ऊपर सेवा को रखेगा।


विद्यार्थी सिर्फ डिग्री नहीं, ज्ञान बाँटने की सोच रखेगा।


व्यापारी लाभ से ऊपर ईमानदारी को रखेगा।


और तब कोई बहन दहेज के नाम पर जलाई नहीं जाएगी,

कोई बच्चा गरीबी की वजह से पढ़ाई से वंचित नहीं रहेगा। 


आत्मनिर्भर बनिए।

दूसरों पर निर्भर रहना मनुष्य की शक्ति को कम करता है।

जो अपने पैरों पर खड़ा होता है, वही सच्चे अर्थों में स्वतंत्र कहलाता है।


महात्मा गांधी ने कहा था —

“जो अपने हाथों से काम करता है, वही असली स्वतंत्र है।”

असफलता से डरिए मत।

हर असफलता आपको सिखाती है कि अगली बार क्या नहीं करना है।

जो गिरकर भी उठता है, वही सफल कहलाता है।

“हार कर भी जो हिम्मत रखे, वही सच्चा विजेता है।”


समाज के लिए कुछ कीजिए।

अपनी सफलता को केवल अपने लिए मत रखिए।

यदि आप पढ़े-लिखे हैं, तो किसी अनपढ़ को सिखाइए।

अगर आप सक्षम हैं, तो किसी ज़रूरतमंद की मदद कीजिए।

 “जिसकी सफलता में किसी और की मुस्कान जुड़ी हो  वही सच्चा युवा है।


युवा वही जो सपने देखे भी और उन्हें पूरा करने की हिम्मत भी रखे।

जो खुद बदले, और दूसरों को भी बदलने की प्रेरणा दे।


अब समय आ गया है कि हर युवा यह संकल्प ले ...

 “मैं डरूँगा नहीं, थमूँगा नहीं,

खुद को पहचानूँगा, मेहनत करूँगा,

और इस दुनिया को कल नहीं,

आज ही बदल दूँगा।”


याद रखिए 

“अनपढ़ मेहनत करके आगे बढ़ जाता है,

लेकिन शिक्षित युवक तभी आगे बढ़ता है

जब वह श्रम से प्रेम करना सीख लेता है।


आत्मनिर्भर बनना - शुरुआत छोटे कदमों से।


1. अपना हुनर पहचानिए


हर व्यक्ति के भीतर कोई न कोई कला या योग्यता होती है ।

किसी को बोलना अच्छा लगता है, किसी को बनाना, किसी को सिखाना, किसी को ठीक करना।


उदाहरण:

अगर आपको बोलना पसंद है Youtuber बनें।

अगर खाना बनाना अच्छा लगता है तो छोटा होम-फूड बिज़नेस या टिफिन सर्विस शुरू करें।


अगर डिजाइनिंग आती है ऑनलाइन freelancing (Canva, Fiverr, Upwork) से शुरुआत करें।


अगर मरम्मत या इलेक्ट्रॉनिक्स में हाथ अच्छा है तो लोकल सर्विस सेंटर या घर-घर सर्विस शुरू करें।


याद रखें: आत्मनिर्भरता वहीं से शुरू होती है जहाँ आप “क्या कर सकता हूँ” सोचते हैं। न कि “मेरे पास क्या नहीं है।”


2. छोटे काम को छोटा मत समझिए।


कई बड़े बिज़नेस बहुत छोटे काम से शुरू हुए हैं ।


धीरूभाई अंबानी ने पेट्रोल पंप पर नौकरी से शुरुआत की।

अमूल की शुरुआत कुछ किसानों के दूध बेचने से हुई।

कुल्हड़ चाय वाले, मोमोज वाले, ऑनलाइन टिफिन सर्विस,

ये सब छोटे-छोटे प्रयोग हैं, जिनसे आज हजारों युवाओं ने पहचान बनाई है।



“हर बड़ा सपना छोटी शुरुआत से ही जन्म लेता है।”


3. अपने खर्च पर नियंत्रण रखें।


आत्मनिर्भर बनने का मतलब सिर्फ पैसा कमाना नहीं,

बल्कि अपने पैसे को समझदारी से खर्च करना भी है।


फिज़ूल खर्ची कम करें।


EMI या कर्ज़ से बचें।


बचत और निवेश (Mutual Fund, SIP, RD) की आदत डालें।


“जो अपने पैसे पर नियंत्रण रखता है, वही जीवन पर नियंत्रण रखता है।”


4. नई चीजें सीखते रहिए


आज के युग में “सीखते रहना” ही आत्मनिर्भरता का मूल मंत्र है।

हर महीने एक नई स्किल सीखने की आदत डालिए ।

भले वह मोबाइल रिपेयरिंग हो, सिलाई हो, ग्राफिक डिजाइनिंग हो या डिजिटल मार्केटिंग।


फ्री प्लेटफॉर्म:

YouTube, Coursera, Skill India, PMKVY, Google Digital Garage यह सब मुफ़्त में नई स्किल सिखाते हैं।


5. अपने क्षेत्र में अवसर खोजिए


हर जगह कुछ न कुछ नया करने की जगह होती है।

अपने शहर या गाँव में सोचिए ... लोगों को किस चीज़ की कमी है, वही आपकी संभावना है।


उदाहरण-


छोटे कस्बों में मोबाइल कवर, स्टेशनरी, या बुक डिलीवरी सर्विस शुरू करें।


गाँवों में जैविक खेती, दूध या सब्ज़ी की सप्लाई जैसी योजनाएँ चलाएँ।


महिलाओं के लिए होम-मेड पापड़, अचार, ब्यूटी-प्रोडक्ट्स जैसी यूनिटें बहुत सफल होती हैं।


6. आत्मनिर्भर सोच का अभ्यास करें।


यह सिर्फ आर्थिक नहीं, मानसिक आत्मनिर्भरता भी है।

किसी कठिन परिस्थिति में “कौन मदद करेगा” मत सोचिए,

बल्कि “मैं क्या कर सकता हूँ” सोचिए।


हर निर्णय के लिए दूसरों पर निर्भर रहना छोड़िए।


अपने जीवन की जिम्मेदारी खुद लीजिए।



“जिस दिन आप ‘मैं कर लूंगा’ बोलना शुरू कर देंगे,

उसी दिन आत्मनिर्भरता का पहला कदम पूरा हो जाएगा।”


7. सफलता की कहानी बनाइए


हर आत्मनिर्भर व्यक्ति किसी और के लिए प्रेरणा बनता है।

चाहे वो अपना घर चलाने वाली एक माँ हो,

या किसी छोटे गाँव से खुद का व्यवसाय शुरू करने वाला युवा।

आपकी मेहनत, संघर्ष और आत्मविश्वास ही आने वाली पीढ़ियों को रास्ता दिखाएंगे।


“आत्मनिर्भरता का मतलब यह नहीं कि आप सब कुछ अकेले करेंगे,

बल्कि ...यह कि आप अपने जीवन के फैसले खुद करेंगे।”




“दूसरों की मदद स्वीकार करना ठीक है,

पर दूसरों पर निर्भर रहना कभी ठीक नहीं।”


SARAL VICHAR

-----------------------------------------------

Topics of Interest

स्वावलंबन, youth motivation, आत्मनिर्भर भारत, young generation, sensitiveness in youth, youth life lesson, motivational kahani, शिक्षा और रोजगार, inspirational story in hindi, youth responsibility, positive thinking, self confidence


एक टिप्पणी भेजें (POST COMMENT)

0 टिप्पणियाँ