छोटे-छोटे काम अपने हाथों से करना और मेहनत करने की आदत डालना ही स्वावलंबन (आत्मनिर्भरता) कहलाता है।
मनुष्य की तीन बुनियादी ज़रूरतें होती हैं — रोटी, कपड़ा और मकान।
इन सबको पाने के लिए हर युवक का आत्मनिर्भर बनना जरूरी है।
लेकिन दुख की बात यह है कि अनपढ़ व्यक्ति मेहनत करके पैसा कमा लेता है,
जबकि पढ़ा-लिखा युवक बेरोजगार रह जाता है, क्योंकि वह मेहनत करना नहीं चाहता।
समस्या यह नहीं है कि युवाओं में ताकत नहीं है,
समस्या यह है कि वे अपनी असली पहचान को नहीं समझ पा रहे हैं।
इसे एक कहानी से समझते हैं-
एक बार एक शेर का बच्चा अपनी माँ से बिछड़ गया और भेड़ों के झुंड में जाकर रहने लगा।
वह भी उन्हीं की तरह घास खाने लगा और भेड़ों जैसा डरपोक बन गया।
एक दिन जंगल में एक असली शेर आया।
उसकी दहाड़ सुनकर सारी भेड़ें भागने लगीं, और वह शेर का बच्चा भी डरकर भागने लगा।
शेर ने उसे देखा और पकड़ लिया।
वह उसे एक तालाब के पास ले गया और पानी में उसकी परछाई दिखाई।
उसने कहा, “देखो, तुम भी मेरी तरह शेर हो, भेड़ नहीं।”
फिर उसने उसे अपने साथ रखा और सिखाया कि असली शेर कैसे दहाड़ता है।
धीरे-धीरे उस बच्चे को अपनी असली पहचान मिल गई।
अब वह भेड़ों में नहीं, बल्कि शेरों की तरह जीने लगा।
हमारी हालत भी कुछ ऐसी ही है -(
हम अपनी शक्ति, साहस और योग्यता को भूल चुके हैं और छोटी-छोटी बातों में घबराने लगे हैं।
पर सच यह है कि हम सबके भीतर असीम साहस और ऊर्जा भरी पड़ी है।
अगर आज का युवा संवेदनशील और जिम्मेदार बन जाए तो समाज बदल सकता है।
जैसे -
अगर कोई वकील युवा अपनी नजर सिर्फ पैसों पर न रखे, बल्कि पीड़ितों को न्याय दिलाने पर लगाए,
तो समाज में न्याय स्थापित होगा।
अगर डॉक्टर अपने काम में सच्ची मानवता और करुणा जोड़ लें,
तो कई लोगों की कराहटें मुस्कान में बदल जाएंगी।
अगर विद्यार्थी अपने ज्ञान को दूसरों से बाँटने लगें,
तो अंधकार मिट जाएगा और हर घर में शिक्षा की रोशनी फैलेगी।
अगर कोई धनवान युवा संवेदनशील बन जाए,
तो कोई भी गरीब बच्चा पैसों की कमी के कारण पढ़ाई से वंचित नहीं रहेगा।
और जब समाज में संवेदना और समझदारी जागेगी,
तो कोई भी बहन दहेज के नाम पर जिंदा नहीं जलाई जाएगी।
इसलिए साथियो, अब समय है कि हम सब मिलकर इस संवेदना को जगाएं।
यही हमारा कर्तव्य है और शायद इसी पवित्र उद्देश्य से हमारा जन्म हुआ है।
आज का युवा अगर यह संकल्प करे कि -
“दुनिया बदलेगी - कल नहीं, आज ही बदलेगी,”
तो सचमुच बदलाव होकर रहेगा।
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