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असफलता के बाद भी हार न मानें | Failure to Success Motivation

 

उदासी, दुःख, डिप्रेशन को कैसे संभालें  | HOW TO HANDLE SADNESS, SORROW, DEPRESSION - www.saralvichar.in


जितनी बार किसी का job जाता है, जितनी बार कोई पढ़ाई में फेल होता है, जब भी कोई आत्महत्या करता है, जब भी कोई उदास होता है , ब्रेक हो जाने के बाद या कोई दुकानदारी में फेल होता है तब-तब हमें लगता है कि हम फेल हो गये । हम अपनी बात आप लोगों तक नहीं पहुंचा पाए ।

किसी भी हालात में आप उदास न होते तो शायद आप सुसाईड न करते या ऐसा कोई कदम नहीं उठाते जो हमें नहीं उठाना चाहिए। हम चांद तक पहुंच गए हैं। मार्स पर कब्जा करने की सोच रहे हैं किंतु हमें बेसिक (मूल) चीजों का हमें ज्ञान ही नहीं है। जितना हमारे पास टाईम है हम सास-बहू सिरियल में, जोक सुनने में, गाने सुनने में लगा रहे हैं।
जिंदगी २०-२० का मैच नहीं है। यह २० ओवरों का मैच नहीं है जो सुबह शुरु किया २० ओवर खत्म तो आप जीत गए या हार गए । ये जीवन बहुत लंबा टेस्ट मैच है। पूरी जिंदगी चलने वाला मैच है यह । इसमें रोज आपको मौका मिलता है खेलने का । मैच तो खेलना ही पड़ेगा । एक बार आऊट हो जाओगे, दो बार आऊट हो जाओगे, शायद २००, ४००, १००० बार बैटिंग करोगे । आखिर में देखेंगे कि कौन कहां पर जा पहुंचा ।

जितने भी लोग आपको दिखाई पड़ते हैं हंसते मुस्कराते हुए, बड़े पर्दे पर भी देखे होंगे जैसे- अमिताभ, शाहरुख, बिल गेट्स, अंबानीस्...। आप क्या सोचते हो? वे हमेशा सफल हुए थे? सफल इंसान के पीछे बहुत सारी असफलताएं भी छिपी होती हैं। क्या हुआ आप हार गए? इसका मतलब यह नहीं कि आप जिंदगी में हार गए। अभी कल एक मैच और है। आज का कस्टमर चला गया? आज प्रमोशन नहीं मिली? आज ब्रेकअप हो गया? आज परिवार के किसी सदस्य से झगड़ा हो गया? इसका अर्थ यह नहीं कि आपने कुछ नहीं सीखा, आपने बहुत कुछ सीखा । आने वाले मैचों में, आने वाली जिंदगी में, आने वाले दिनों में आप दोबारा फेल न हो सको...। आप क्या सोचते हो कि मैच खेलने से बदनामी हो जाती है?
 लोग आपका मजाक उड़ाते हैं? अरे लोगों को क्या पता... खेलने का क्या मजा है और इसमें हारने का क्या मजा है?
 गिरते हैं शाही घुड़सवार मैदाने जंग में । जो घुटनों के बल चले वे गिरना क्या जाने ? मैच को बाहर बैठकर देखने में कोई मजा नहीं है। खेलो । हारोगे या जीतोगे । कल दोबारा खेलो। आज के बाद कभी नहीं सोचना कि लोग आपके बारे में क्या सोचेंगे? आपने कोशिश तो की। आपने एवरेस्ट पर जाने की कोशिश तो की। भले आप एवरेस्ट पर पहुंच नहीं पाए । तो क्या हुआ? लोग फिर भी आपको सलाम करेंगे । लेकिन आप घर से ही नहीं निकले, तब लोग आपको  धिक्कारेंगे।

१-२ बार फेल होने पर आप क्या सोचते हो कि आप फेलियर हो? आप दूसरे से कम नहीं हो । अभी बहुत कुछ सीखना है आपको । अगर आपको अच्छी इंग्लिश नहीं आती तो क्या हुआ? और बहुत कुछ आता होगा । आप अच्छा गा नहीं सकते तो क्या हुआ? और बहुत कुछ जानते होंगे। आप स्टेज पर नहीं जा सकते... तो क्या हुआ? और बहुत कुछ पता होगा । पढ़ाई में अच्छे नंबर नहीं आते, तो क्या हुआ? अगर दिलचस्पी है तो सीख लो । काश! आपने फिल्म तारे जमीन पर देखी होती, मुझे पता है आपने यह फिल्म देखी है। काश आपने ३ इडियट देखी होती, काश आपने मुन्ना भाई M.B.B.S. देखी होती। आपने शायद यह फिल्में देखी हैं। किंतु आपने इन फिल्मों में से काश कोई संदेश लिया होता । एक बार हारने से आप क्या सोचते हो कि जिंदगी खराब हो गई नहीं... यह जिंदगी खराब नहीं हुई, आपके पास दोबारा खेलने का मौका भी तो है। दोबारा शुरु कीजिए । यह सौ मीटर की दौड़ नहीं है जो आप भागे और हार गए। जिंदगी मैराथन रेस है । बहुत लंबी रेस है। इसमें यह जरुरी नहीं कि आप कौनसे राऊंड में आखरी पड़ाव तक पहुंचे। वह आखरी प्वाईंट जब आप दुनिया से जाओगे उस वक्त तक की तैयारी करो।
जिंदगी मंजिल नहीं है। जिंदगी तो रास्ता है। फेल होने का क्या सोचते हो कि अब 'गेम' को छोड़ दो । हां, मेहनत ज्यादा कर लो। कामयाब इंसान और न कामयाब इंसान इन दोनों में फर्क क्या है? जो काम बुरा लगता है नाकामयाब को, वही काम बुरा लगता है कामयाब इंसान को। सुबह जल्दी उठना दोनों को बुरा लगता है । मेहनत करना दोनों को बुरा लगता है । लेकिन जो कामयाब इंसान होता है वह उसी काम को बार-बार करके अपनी आदत बना लेता है। उसे भी सुबह उठना अच्छा नहीं लगता, लेकिन वह सुबह जल्दी उठकर अपनी आदत बना लेता है, और आज वह कामयाब इंसान है। एक घंटा सुबह जल्दी उठने पर आपके ५ साल (काम वाले ५ साल) बढ़ जाते हैं। केवल 1 घंटा जल्दी उठने से आप 5 साल बढ़ा लेते हो ।
असफल होने का यह अर्थ नहीं कि आप कभी भी कामयाब नहीं हो पाओगे। हां, थोड़ा टाईम लग सकता है। मेरी एक स्टुडेंट एयर होस्टेज बनना चाहती थी। 1ला, 2रा,3रा इंटरव्यू वह फेल हो गई। ऐसे वह 20 बार फेल हो गई। वह लड़की डिप्रेशन में आ गई । कहने लगी कि वह और इंटरव्यू नहीं दे सकती । मैंने कहा कोशिश तो करो । शायद 2-4-5 इन्टरव्यू के बाद शायद तुम सफल हो जाओ । उसने 21 वां इन्टरव्यू दिया और पास हो गई 2 लाख 50 हजार का पैकेज मिलने लगा । वह सिर्फ 12 वीं तक पढ़ी हुई थी। अगर उसने 20 इन्टरव्यू के बाद छोड़ दिया होता तो आज शायद बच्चे पैदा करके अपने पति के लिए किचन में रोटियां बना रही होती।

सबसे बड़ी दिकत आप लोगों की यही होती है कि आप फेल होते हो तो दूसरों को कसूर देते हो कि मेरे पिताजी का साथ मुझे नहीं मिला, मैं यह नहीं कर पाया क्योंकि बरसात हो रही थी, क्योंकि सिस्टम खराब है या पैसा कम था या मैं गांव में पैदा हुआ था या सेहत अच्छी नहीं थी या ईश्वर ने साथ नहीं दिया, किस्मत खराब थी। अपनी हर नाकामयाबी के लिए सिर्फ आप जिम्मेदार हो। तो... आज के बाद दूसरों को इल्जाम देना बंद कीजिए। अगर भगवान आपको उस वक्त कामयाब नहीं करना चाहता है तो ईश्वर के पास शायद दूसरा कोई आयडिया है। जहां वह आपको लेकर जाना चाहता है। किंतु इसका अर्थ यह बिल्कुल भी नहीं कि आप सुस्त होकर बैठ जाओ।

आज ही मुझसे प्रामिस करो कि आप कभी उदास नहीं होंगे। आप कोशिश करोगे । बार-बार मैच खेलोगे। एक और गुज़ारिश करता हूँ कि जब तक पूरा समाज बेहतर नहीं होगा तब तक आपके अकेले बेहतर होने से कोई फायदा नहीं.... ।
लेकिन फिर भी हारना नहीं है.....
-टी.एस. मदान
 
 
 
SARAL VICHAR

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