शरीर में सुंदरता और सुडौलता के लिए थोड़ी चर्बी उचित है। परंतु अधिक चर्बी और विजातीय द्रव्य शरीर में इकट्ठे होने से मोटापा माना जाता है। मोटापा स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। मोटा व्यक्ति थोड़े से श्रम में हांफने लगता है।
मोटापे के साथ गैस, वायु, कब्ज, बवासीर, बहुमूत्र, मधुमेह, जोड़ों में दर्द, गठिया, हाई ब्लड प्रेशर, हृदय संबंधी तकलीफें, दमा, कमजोरी, आदि रोग होते हैं।
मोटापे के कारण - पाचन शक्ति की क्षमता से अधिक भोजन, चिकनाई, प्रोटीन, अनाज अधिक खाना, शारीरिक श्रम न करना व गल ग्रंथियों की खराबी।
चिकित्सा
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परिश्रम या व्यायाम का नियम रखने से मोटापा धीरे-धीरे घटता है। प्रातः सांय तेज गति से टहलना। योगासन, प्राणायाम, दण्ड बैठक, सूखी मालिश आदि कोई भी परिश्रम करके इस मोटापे को घटा सकते हैं।
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प्रातःकाल पेट पर एक मिनट गरम पानी की रबड़ की थैली एवं दो मिनट ठंडे पानी में भीगा तौलिया, एक के बाद दूसरा रखकर २० मिनट के लिए ठंडा-गरम सेक करने के पश्चात एक लिटर गुनगुने पानी में एक नींबू का रस डालकर एनीमा लेना चाहिए। (एनीमा का डब्बा घर में लेकर आ सकते हैं। थोड़ा ऊंचाई पर, टेबल पर रखकर नीचे जमीन पर लेटकर स्वयं एनीमा दे सकते हैं। एनीमा लेते समय गहरी-गहरी सांसे लें। डब्बे की नलकी के मुंह पर सरसों का तेल लगाएंगे तो सुविधा होगी।)
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एनीमा द्वारा पेट साफ करने के पश्चात ठंडे पानी से कमर स्नान hip bath पंद्रह मिनट लेना चाहिए। ठंडा कमर स्नान पेट की त्वचा को लटकने से बचाता है।
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सप्ताह में तीन बार करीब दस मिनट के लिए बाष्प स्नान लेना चाहिए। (बाल्टी में गरम पानी लें। चाहे तो नमक डालें उस पानी में। अपने पैर उस पानी में डालें। ऊपर से कंबल लपेट लें। सर पर गीला टावेल रखें।) गर्मी के मौसम में धूप स्नान द्वारा भी पसीना निकाला जा सकता है।
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सप्ताह में तीन बार एक घंटे के लिए गीली चादर का लपेट लेना चाहिए। इससे वजन घटने पर झुर्रियां और त्वचा लटकती नहीं है।
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आधुनिक डॉक्टर बिजली की गर्मी या सेक द्वारा वजन घटाते हैं पर बिजली की चिकित्सा से दुर्बलता एवं लाभ के स्थान पर हानि भी हो सकती है।
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सप्ताह में औसतन दो किलोग्राम वजन घटाना हानि रहित होता है। ऊपर दिए गए सारे तरीके आप प्राकृतिक चिकित्सालय में भी करवा सकते हैं।
भोजन के नियम
१. भोजन में संयम एवं सुधार वजन घटाने के लिए अति आवश्यक समझना चाहिए। मोटे आदमी को पूर्ण उपवास नहीं रखना चाहिए। इससे उन्हें उल्टी, पतले दस्त, खुजली, बुखार, सर दर्द, चक्कर आना, खांसी, हिचकी, हृदय दर्द में उभार स्वाभाविक व अनिवार्य (जरुर) होंगे।
२. रसाहार - सब्जी अथवा फलों के रस एवं गरम पानी में नींबू, शहद व अदरक का रस मिलाकर पीना लाभदायक होता है। खट्टे फल, आंवला, पालक, करेले व ककड़ी का रस वजन घटाने में मदद करते हैं।
३. हर प्रकार के ताजे फल, कच्ची खाने योग्य सब्जियां, उबली हुई शाक-तरकारियां, मक्खन निकली छाछ एवं क्रीम निकला दूध आवश्यकतानुसार सेवन करना चाहिए।
४. प्यास लगने पर हर बार गुनगुने पानी में नींबू का रस मिलाकर पीना चाहिए।
**५. जब भी खाना खाकर उठे चाहे दिन हो या रात का भोजन हो। एक कप गरम पानी चाय की तरह गरम पानी हो वह पानी घूंट-घूंट कर पीएं। चर्बी गलने लगेगी।
परहेज
१. ऊपर बताई गई वस्तुओं के सिवाय और कुछ और नहीं खाना चाहिए। वजन घटाने तक अनाज, आलू, अरबी, शकरकंद, प्रोटीन वाली वस्तुएं, हर प्रकार की दालें, मांस, मछली, अण्डे, चिकनाई, मक्खन, घी, तेल, मिठाईयां एवं नमक से भी परहेज करना चाहिए।
२. सप्ताह में एक बार शरीर का वजन करने का नियम भी बनाना चाहिए।
ऊपर लिखी गई बातें आप अपनाएंगे तो अवश्य ही आवश्यकता से अधिक वजन से आप निजात पाएंगे। एनीमा लेना या बाष्प स्नान लेना या परिश्रम करना या ठंडा-गरम सेक तो हम हमेशा अपने घर में ही कर सकते हैं। इससे हम फिट भी रहते हैं और सुंदर भी दिखते हैं।
अगर जल्दी से आप दुबले नहीं हो रहे हैं तो कोई बात नहीं। धैर्य रखिए और टेंशन में चॉकलेट, चिप्स आपको नहीं खाना है। आपने कितने वर्ष अपनी आदतें बिगाड़कर, अनाप-शनाप खाकर वजन बढ़ाया है तो क्या कुछ इंतजार नहीं कर सकते दुबले होने के लिए।
आप एक बार दुबले हो जाएंगे तो .... दुबले ना सही बेडौल भी नहीं लगेंगे। तो अपने आपको संभालकर रखना, अपनी खाने-पीने की आदतों में संयम रखना आपको अच्छा लगने लगेगा। लोग सोचते हैं कि जिंदगी एक बार ही तो मिली है, तो क्यों न खा-पीकर ऐश करें। किंतु जिंदगी एक बार ही मिली है तो बिमार होकर जीने में क्या फायदा? मोटा, थुलथुल इंसान किसी भी तरीके से अच्छा नहीं लगता। अगर आप चाहते हैं कि लोग आपको प्यार करें, लोग न सही, आप अगर स्वयं से प्यार करते हैं तो अपने आपको फिट रखना ही होगा।
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