आधुनिक भारत के महान संत साधु वासवानी (Sadhu Vaswani in Hindi) त्याग, करुणा, तपस्या और विद्या की प्रतिमूर्ति थे। उनका जन्म 25 नवंबर 1879 को हैदराबाद, सिंध में हुआ था। साधु वासवानी दर्शनशास्त्र में एम.ए. करने के बाद कोलकाता, कराची, लाहौर, कूचबिहार और पटियाला के महाविद्यालयों में अध्यापन कार्य करने लगे।
अध्यापन के साथ ही उन्होंने नवयुवकों में राजनीतिक, सांस्कृतिक और सामाजिक नवचेतना जगाने हेतु अनेक पुस्तकें सिंधी और अंग्रेज़ी में लिखीं। उनके लेख महात्मा गांधी की साप्ताहिक पत्रिका "यंग इंडिया" में भी प्रकाशित होते थे।
40 वर्ष की आयु में माता के स्वर्गवास के बाद उन्होंने अध्यापन छोड़कर अपना संपूर्ण जीवन समाजसेवा को समर्पित कर दिया। उनकी प्रेरणा से "संत मीरा शिक्षा प्रसार समिति" की स्थापना हुई, जिसके अंतर्गत आज भी अनेक विद्यालय और सेवा कार्य संचालित हैं।
30 वर्ष की आयु में ही साधु वासवानी ने बर्लिन में आयोजित विश्व धर्म सम्मेलन (World Religion Conference) में भारत का प्रतिनिधित्व किया। ठीक वैसे ही जैसे स्वामी विवेकानंद ने 1893 में शिकागो में किया था। उनका भाषण ओजस्वी और प्रेरणादायी था।
वे नैष्ठिक ब्रह्मचारी, प्रतिभाशाली कवि, उच्च कोटि के दार्शनिक और आध्यात्मिक गुरु थे। उन्हें "Saint of Modern India" भी कहा जाता है।
16 जनवरी 1966 को पुणे में उन्होंने इस नश्वर शरीर का त्याग किया। उनके जीवन पर अंग्रेज़ी में "Saint of Modern India" शीर्षक से जीवनी प्रकाशित हुई। हर वर्ष 25 नवंबर को उनके जन्मदिवस पर "Meatless Day" मनाया जाता है।
यह प्रेरणादायी कहानी (Inspirational Story in Hindi) हमें बताती है कि साधु वासवानी केवल एक संत ही नहीं बल्कि आध्यात्मिक मार्गदर्शक (Spiritual Guru in India) भी थे। उनका जीवन हमें प्रेरित करता है कि हम उनके बताए मार्ग पर चलें और रोज़मर्रा के जीवन में उनके Anmol Vachan (Sadhu Vaswani Quotes in Hindi) को अपनाएँ।
SARAL VICHAR
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