सुबह जल्दी उठना रात को जल्दी सोना यह एक ऐसा मंत्र है जिससे काफी चुस्ती आती है। तकरीबन जिंदगी का रास्ता बन जाता है। सुबह उठने से काफी दिक्कतें अपने आप खत्म हो जाती हैं। सुबह कुदरत साफ शुद्ध होती है। रात को मिट्टी धूल सब छन जाती है, और कई काम कर सकते हैं। जो काम करने हैं नोट कर सकते हैं, कुदरत के पास जा सकते हैं।
सिर्फ आलसी इंसान को छोड़कर दुनिया का हर इंसान सुबह उठ जाता है। कुदरत ने ऐसा नियम बनाया है। पशु-पक्षी, बच्चा सब सुबह ही उठ जाते हैं, इंसान को भी चाहिए जल्दी उठे और वक्त पर सो जाए। सारी दुनिया में जितने भी महापुरुष हुए हैं वो जल्दी ही उठते थे और संसार को अपनी लेखनी से पैगाम देते थे। अपने विचारों से दुनिया को सलाह देते थे। सुबह उठने वाला मुसीबत में कम पड़ता है। सच्चा साधू सुबह उठता है। वैश्या सुबह सोती है रात को जागती है। ऐसा नियम है दुनिया में, साधू भाव से जियो और कुदरत का आनंद लो। सुबह जागने वाला ज्यादातर शाकाहारी होता है। रात को जागने वाला मांसाहारी होता है। यह भी अक्सर देखा गया है दानी, सुबह दान करता है। चोर रात को चोरी करता है। रात तो ईश्वर से मिलने के लिए होती है। आराम से सोने के लिए, इसलिए इसका नाम सोना (खरा सोना) रखा गया है।
कभी जल्दी करने से कई काम भूल जाते हैं। कई बार असली काम भी भूल जाते हैं, काम को फुर्ती से करना चाहिए, मगर जल्दी और सूझ-बूझ में फर्क है। काम तो जरूर करना चाहिए, मगर बहुत जल्दी नहीं करनी चाहिए। जल्दी हो तनाव का कारण बन जाता है। धीरे-धीरे रे मना धीरे सब कुछ होए। माली सींचे सौ घड़ा, रूत आए फल होए। इंसान तो चाहता है। मुझे अभी फल मिल जाए मगर जब तक उसका मौसम नहीं आएगा फल नहीं लगेगा। काम तो करते रहना चाहिए। मगर तनाव रहित, अति की जल्दी करने से काम जल्दी नहीं होता।
ज्योतिष का चक्कर
जो चीज होने वाली है उसे जानना ज्योतिष का चक्कर कहलाता है। आप पिक्चर देख रहे हैं अगर आपको कोई उसकी स्टोरी बता दे तो पिक्चर का मजा खराब हो जाता है। ठीक यही जिंदगी का सवाल है। अगर होने वाली चीज आपको पहले बता दें तो चिंता खड़ी हो जाती है। सुकरात ने कहा था मुसीबत जब तक पूरी तरह घेर न ले तब तक उसकी तरफ ध्यान न दो, मुसीबत आएगी आने वाली है। शेर आएगा सब को खाएगा यह सोचना कितना भयानक पाप है। शेर को जितनी भूख होगी उतना ही खाएगा जरूरी नहीं कि वह सब को खाए, उससे पहले ही दम निकल जाए उसका क्या फायदा। कई लोग गम से ही मर जाते हैं। इंसान को अपना काम करना होता है, कुदरत को अपना काम करना होता है। ईश्वर ने अगले-पिछले जन्म का हिसाब इंसान को नहीं बताया। अगर बताया होता तो इंसान लड़-लड़ कर मर जाता या जिंदा रहने की उसमें ताकत ही नहीं होती।
इतने जन्म होते हैं हर जन्म का अपना-अपना हिसाब है। कीड़ा भी मरना नहीं चाहता, वो समझता है मैं ठीक हूं। यह जो तंत्र विद्या है उससे दूर ही रहना चाहिए। आज तो सभी लोग इस विद्या में उलझे हुए हैं। मगर उलझना नहीं चाहिए। कर्म ही पूजा है, पहले कर्म बाद में फल। जो कर्म करता ही नहीं उसे फल कैसा। हाथ की लकीरों पर भरोसा मत करना मेरे दोस्त क्योंकि तकदीर उनकी भी होती है जिनके हाथ नहीं होते।
ओमप्रकाश अग्रवाल
SARAL VICHAR
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