सोच को बदलिए, सितारे बदल जाएंगे
नज़र बदलो, नज़ारे बदल जाएंगे ।
कश्तियों को बदलने की ज़रुरत नहीं
सिर्फ दिशाओं को बदलिए,
किनारे खुद ब खुद मिल जाएंगे।
एक बार हथौड़े और ताले की चाबी में बात चल रही थी । हथौड़ा बोला- मैं ताले को इतनी जोर-जोर से चोट करता हूं फिर भी ताला नहीं खुलता । तुम इतनी छोटी सी होकर ऐसा क्या करती हो कि ताला खुल जाता है। चाबी बोली- तुम बाहर से चोट करते हो, मैं ताले के अंदर जाती हूं और राईट टर्न लेती हूं और ताला खुल जाता है।
याने बाहर से अपने को मत संवारिए। ब्यूटी पार्लर में भले न जाओ । अपने अंदर (मन) को ठीक करो । घर की सजावट भले न बदलो । घर की सजावट से घर में खुशियां नहीं आएंगी । स्वयं को बदल लो । खुशियां ही खुशियां होंगी आपके घर में।
जीवन में हम अकसर दो रास्तों में से एक चुनते हैं —
हथौड़े की ताकत या चाभी की समझदारी।
हर ताला जोर-ज़बरदस्ती से नहीं खुलता।
हर समस्या का समाधान ताकत से नहीं, संवेदनशीलता, समझ और संवाद से आता है।
यदि आप किसी के दिल या मन को जीतना चाहते हैं,
तो उसे डांट-डपट कर नहीं,
बल्कि चाभी की तरह उसकी भावना को समझकर, स्नेह और सम्मान के साथ जुड़कर ही जीत सकते हैं।
-डॉ. गिरीश पटेल
SARAL VICHAR
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