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भारत की आत्मा और आध्यात्मिक शक्ति | Inner Freedom aur Self Control

 मन की आजादी  |  FREEDOM OF MIND  - www.saralvichar.in

हाल ही में 26 जनवरी, गणतंत्र दिवस पर यह ख्याल आया कि हिन्दुस्तानी मन को दुनिया पर विजय पाने वाले योद्धा या बड़े-बड़े कारोबारियों की उपलब्धियाँ इतनी आकर्षित नहीं करतीं। हिन्दुस्तानी मन को तो वही लोग आकर्षित करते हैं जिन्होंने खुद पर विजय पाई हो, यानी जिन्होंने अपने इंद्रियों और मन को नियंत्रित किया हो।

हिन्दुस्तानी मन को पवित्रता बहुत भाती है। इसलिए फकीर, साधू, दरवेश और ऋषि हमें अपनी ओर खींचते हैं। ये लोग भले ही साधारण जीवन जीते हों, लेकिन उनका मन पवित्र और आध्यात्मिक होता है।

देश बचा कैसे?

इतने वर्षों की लड़ाई और गुलामी के बाद भी भारत बचा कैसे? इसका कारण है हमारी संस्कृति और तहज़ीब। यह संस्कृति मानवता और आत्मा की अमरता के संदेश पर टिकी है। चाहे भीतर की लड़ाई हो या बाहर की, भारत ने अपनी आत्मा की शक्ति को पीढ़ी दर पीढ़ी जीवित रखा। यही हमारी सच्ची ताकत है।

हर व्यक्ति दार्शनिक या संत नहीं था। हर कोई जीवन में सुख और आराम चाहता था। फिर भी यहाँ की हवा, यहाँ की सोच लोगों को हमेशा यह सवाल करने पर मजबूर करती थी: "मैं कौन हूँ? मेरा जीवन का मकसद क्या है?"

अगर हम यह सवाल भूल भी जाते हैं, तो हमारे फकीर, साधू और संत हमें याद दिलाते हैं। यही कारण है कि 200 साल तक अंग्रेजों के शासन के बावजूद, हमारी संस्कृति जिंदा रही। हमारे गुरु और संत हमें भूलने नहीं देते, उन गुरुओं को शत् शत् नमन है जिन्होंने हमारी संस्कृति को हमें भूलने नहीं दिया । वरना अंग्रेजों ने तो हमारे दिमाग को भी काबू कर लिया होता तो हम आज आजादी की सांस न ले रहे होते ।  

आज़ादी सिर्फ शरीर की नहीं, मन की भी होती है

आजादी का मतलब सिर्फ बाहरी गुलामी से मुक्ति नहीं है। हमें अपने मन को भी आज़ाद रखना है। हमें किसी चीज़ का इतना गुलाम नहीं बनना चाहिए कि उसके बिना हम जी ही न पाएं। उदाहरण के लिए, फोन, टीवी, फ्रिज या सॉफ्टड्रिंक के बिना हमारा जीवन अधूरा न लगे।

हमें आदतें बनानी चाहिए जो हमारी स्वतंत्रता को बढ़ाएं। मशीनों और तकनीक का उपयोग करना ठीक है, लेकिन उनके गुलाम न बनें। अगर कोई चीज़ न मिले, तो भी आपका जीवन चलता रहे। यही सच्ची आज़ादी है। ऐसा नहीं है कि इन चीजों से जबरदस्ती दूर रहें किंतु ऐसे भी न बनें कि इन चीजों के बिना हम रह ही न सकें। ज्ञान तो विज्ञान सहित होना चाहिए। अगर हम बाहर हैं, वहां पर पानी नहीं हो तो हम यह नहीं कहेंगे कि आप सांफ्टड्रिक न पीयो किंतु इन चीजों की आदत मत बनाओ । मशीनों से काम लो, उनके गुलाम न बनो

  1. खुद पर नियंत्रण रखना सबसे बड़ी ताकत है।

  2. पवित्रता और साधना से मन को आकर्षित करें।

  3. आज़ादी सिर्फ शरीर की नहीं, मन की भी होती है।

  4. किसी भी चीज़ का गुलाम न बनें, बल्कि उसे अपने जीवन का साधन बनाएं।

 

SARAL VICHAR
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