*अचानक से आज यूँ ही ख्याल आया कि*
*अखबार पढ़ा तो प्राणायाम छूटा*
*प्राणायाम किया तो अखबार छूटा*
*दोनों किये तो नाश्ता छूटा*
*सब जल्दी-जल्दी निबटाये*
*तो आनंद छूटा*
*मतलब ...*
*कुछ ना कुछ छूटना तो लाज़मी है।*
*हेल्दी खाया तो स्वाद छूटा*
*स्वाद का खाया तो हेल्थ छूटा*
*दोनों किये तो ....*
*अब इस झंझट में कौन पड़े।*
*मतलब...*
*कुछ ना कुछ छूटना तो लाज़मी है।*
*मुहब्बत की तो शादी छूटी*
*शादी की तो मुहब्बत छूटी*
*दोनों किये तो वफा छूटी*
*अब इस पचड़े में कौन पड़े।*
*मतलब ...*
*कुछ ना कुछ छूटना तो लाज़मी है।*
*जो जल्दी की तो सामान छूट गया*
*जो ना की तो ट्रेन छूट गयी*
*जो दोनों ना छूटे तो*
*विदाई के वक़्त गले मिलना छूट गया*
*मतलब ...*
*कुछ ना कुछ छूटना तो लाज़मी है।*
*औरों का सोचा तो मन का छूटा*
*मन का चाहा तो रिश्ता टूटा*
*खैर हमें क्या ...*
*खुश हुए तो हँसाई छूटी*
*दुःखी हुए तो रुलायी छूट गयी*
*मतलब...*
*कुछ ना कुछ छूटना तो लाज़मी है।*
*इस छूटने में ही तो पाने की खुशी है*
*जिसका कुछ नहीं छूटा*
*वो इंसान नहीं मशीन है*
*इसलिए*
*कुछ ना कुछ छूटना तो लाज़मी है।*
*_जी लो जी भर कर ..._*
*_क्योंकि एक दिन ..._*
*_ये जिन्दगी छूटना भी लाज़मी है!!_*
SARAL VICHAR
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