रिश्ते टूट रहे हैं इसलिए शादी के बाद बेटी से 5 मिनट से ज्यादा फोन पर बात न करें मायके वाले
सिंधी
पंचायत ने लड़की के मायकेवालों को हिदायत दी है कि शादी के बाद कम से कम
दो साल तक उसके जीवन में दखल न दें। यदि लड़की से बातचीत भी करना है तो
5 मिनट में हालचाल कर फोन रख दें। वहीं लड़कियों को समझाइश दी है कि ससुराल की छोटी-मोटी बातों को मायके तक न पहुंचने दै। दरअसल यह हिदायत इसलिए दी गई
है कि आजकल हर समाज में हर महीने पति और पत्नी के बीच के विवाद पहुंच
रहे हैं। इनमें से कई दंपती की शादी को दो साल भी नहीं हुए । जब पंचायत ने
पड़ताल की तो यह बात सामने आई कि मायके वालों का दखल इस विवाद की जड़ है।
1. एक मामला यह भी सामने आया कि लड़की की मां रोज फोन करती थी।
पत्नी का मां
से ज्यादा बात करना पति और सास को पसंद नहीं आया। बहू को भी ससुर का
बार-बार उसके मामले में हस्तक्षेप करना पसंद नहीं था। इसे लेकर दोनों
परिवारों में विवाद शुरू हुआ और पंचायत तक पहुंचा। समझाया गया कि लड़की
की मां काउंसलर के फोन से बेटी से बात करें। ससुर से कहा गया कि बहू से
अपनी पत्नी के माध्यम से बात करें। इसका फायदा यह हुआ कि पहले तलाक की नौबत
आ गई थी, अब नया मेहमान आने से खुशियां हैं।
2- पांच बार समझाया गया, बच गया रिश्ता
शादी
के 2 माह बाद ही नव दंपति के बीच झगड़ा बढ़ गया। मामला कोर्ट में तलाक के
लिए लगा दिया गया। लड़के के पिता पंचायत में केस लेकर आए। पता चला कि लड़की
की छोटी बहन अपनी बहन की ससुराल में हावी होने की तरकीब बता रही थी। जो
माँ और छोटी बहन बोलते, वो वही करती। सास और पति की समझ में नहीं आ रहा था
कि परिवार को कैसे बचाए। इस मामले में पांच बार काउंसलिंग करने के बाद
लड़की के परिवार वालों कोसमझाया गया कि कम से कम छह माह तक बेटी के जीवन
में हस्तक्षेप ना करें।
3.कई बार तो दहेज प्रकरण में फंसाने की धमकी
सेंट्रल सिंधी पंचायत के अध्यक्ष भगवान देव इसरानी का कहना है कि
पारिवारिक विवाद के मामले हर समाज में बढ़ रहे है। हमारे यहां ऐसे मामलों
को निपटाने के लिए 28 पंचायतें काम कर रही हैं। सेंट्रल सिंधी पंचायत में
पहुंचे 95 प्रतिशत प्रकरणों में देखने में आया कि मायके वालों के ज्यादा
हस्तक्षेप के कारण नई नवेली दुल्हन ससुराल के रहन-सहन में नहीं चल पाती है।
ससुराल पक्ष की एक ही शिकायत रहती है कि उनकी बहू पूरे समय मायके वाले के
साथ फोन पर व्यस्त रहती है। रोकने पर दहेज प्रताड़ना की धमकी मिलती है।
4. पांच समितियां गठित हैं पंचायत में परिवारिक विवाद सहित अन्य मामलों के निराकरण के लिए। सेंट्रल सिंधी पंचायत में पांच सदस्यीय समिति गठित है। इसमें सीनियर एडवोकेट और मनोवैज्ञानिक काऊंसलर प्रकरणों में सुनवाई करती है। कोशिश रहती है कि प्रकरण का निराकरण समाज के स्तर पर हो जाए।
SARAL VICHAR
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