एक मंदिर की बगल मे एक नाई की दुकान थी। जहां वह रहता भी था।
मंदिर के पुजारी और नाई दोनों मित्र बन गये थे नाई हमेशा ही मंदिर के पुजारी से कहता, ईश्वर ऐसा क्यों करता है?
वैसा क्यों करता है ?
यहाँ बाढ़ आ गई,
यहाँ सूखा हो गया,
यहाँ एक्सीडेंट हुआ,
यहाँ भुखमरी चल रही है।
नौकरी नहीं मिल रही।
तुम्हारा ईश्वर हमेशा लोगों को ऐसी बहुत सारी परेशानियां देता रहता है।
एक दिन उस मंदिर के पुजारी ने मित्र नाई को सामने सड़क पर बैठै एक इंसान से मिलाया, जो भिखारी था,
बाल बहुत बढ़े थे, दाढ़ी भी बहुत बढ़ी थी।
मित्र नाई को कहा:- देखो इस इंसान को, जिसके बाल बढ़े हुए हैं, दाढ़ी भी बहुत बढ़ी हुई है, तुम्हारे होते हुए ऐसा क्यों है ?
नाई बोला:- अरे! उसने मेरे से कभी संपर्क ही नहीं किया ।
मंदिर के पुजारी ने तब समझाया, यही तो सारी बात है ।
जो लोग ईश्वर से संपर्क करते रहते हैं उनका दुःख स्वत: ही खत्म हो जाता है।
जो लोग संपर्क ही नहीं करते और कहतें हैं हम दुःखी हैं। वो सब अपने अपने कर्म काट रहे होते हैं।
SARAL VICHAR
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