कृष्ण-कृष्ण मेरे पास आओ
जटिल नामक एक छोटा सा बच्चा अपनी मां के साथ, जंगल के पास एक टूटी-फूटी
झोपड़ी में रहता था। उसका स्कूल जंगल के दूसरे सिरे पर था। हर रोज उसे जंगल
से गुजरना पडता था। भोर में स्कूल जाते और शाम को जंगल से लौटते वक्त उसे
जंगली जानवरों की भयानक आवाजें सुनाई देतीं। वह स्वयं को बड़ा असहाय अनुभव
करता। जंगल पार करते हुए लगभग हर रोज भय और आतंक उस पर हावी हो जाते। एक दिन उसने अपनी मां से इस बारे में बात की।
मां
बोली, 'जटिल बेटा, तुम चिंता क्यों करते हो? तुम्हारा बड़ा भाई जंगल में
ही रहता है। तुम उसे क्यों नहीं पुकारते?
हैरान होकर बच्चे ने कहा- 'बड़ा भाई? वह
कौन है? उसका नाम क्या है? अब तक वह कहां था? आपने उसके बारे में पहले
क्यों नहीं बताया?
मां बोली-' तुम्हारे बड़े भाई का नाम कृष्णा है। जब भी तुम्हें डर लगे या कुछ चाहिए हो तो उसे पुकार लिया करो ।
वह
तुम्हारे सामने प्रकट हो जाएगा। वह तुम्हें स्कूल छोड़ आएगा।' अगले दिन जब
जटिल जंगल पहुंचा तो पुकारने लगा- कृष्ण, कृष्ण आओ, मुझे जरा जंगल के उस
ओर ले चलो। किंतु जटिल को कोई जवाब नहीं आया। वह मन से, श्रद्धा से, निष्ठा
से, असहाय हृदय से बार-बार पुकारने लगा, कृष्ण-कृष्ण मेरे पास आओ।
उस
बच्चे की श्रद्धा और प्रेम देखकर कृष्ण एक युवक के रुप में उसके पास प्रकट
हुए और बोले- 'भाई जटिल, मैं आ गया हूं। उन्होंने जटिल का हाथ पकड़ा और
स्कूल तक ले गए और कहा- 'जटिल कभी अकेला महसूस न करना, जंब भी मेरी जरुरत
पड़े, मुझे केवल पुकारना और मैं तुम्हारे पास आ जाऊंगा।
यह जीवन भी एक
जंगल है। लोभ हमें घेरते हैं, भय निरुत्साह करते हैं । मुश्किलें व
समस्याएं हम पर हावी हो जाती हैं और हम अपने आपको असहाय, डरा हुआ व अकेला
अनुभव करते हैं । हमें श्रद्धा और भक्ति से केवल श्री कृष्ण को पुकारना है
और वह हमारे सामने प्रकट हो जाएगा।
0 टिप्पणियाँ