Ticker

7/recent/ticker-posts

सही जीवनसाथी चुनने की सीख | Marriage Life Success Mantra

छोटी-छोटी बातें  (कहानी)  |  TRIVIAL MATTERS  (hindi story) - www.saralvichar .in 

 

सुखी जीवन व्यतीत करने के लिए हर छोटी से छोटी बात को भी गम्भीरता पूर्वक समझना चाहिए। इंसान की परख करने के लिए भी छोटी समझी जाने वाली बातों पर ही नजर गड़ानी चाहिए। पिताजी की इस समझदारी ने मेरी बेटी का जीवन खुशियों से भर दिया ।

महिमा अपने पति महेश के साथ ससुराल वापिस चली गई । घर तो सूना हो गया, पर मन में असीम संतोष व्याप्त था। एक सुकून भरी सांस भरकर मैं पलंग पर लेट गया । बेटी ससुराल से हंसती खिलखिलाती आए और मायके से मुस्कराते हुए ही वापस जाए, तो माता-पिता का कलेजा ठंडा हो जाता है। महिमा को खुश देखकर हम पति-पत्नि को जैसे नई उर्जा मिल जाती है।

जब भी महिमा आती है, खुशियों से उसका चेहरा दमकता रहता है। यह बात अलग है कि कभी भी वह हमारे पास दो दिन से ज्यादा ठहर नहीं पाती है, पर यह 'तो किसी भी माता-पिता के लिए गर्व की बात होती है उनकी बेटी ससुराल में इतनी रच-बस गई है। कि उसके बिना वहां एक दिन भी नहीं चल पाता ।

परसों ही मायके आई थी महिमा । पर ऐसा लग रहा था कि उसका मन कहीं भटक रहा था। हर घंटे पर किसी न किसी का फोन । कभी किसी मशविरे के लिए सास का फोन, तो कभी पोते वंश से बात करने के लिए बाबा का फोन । ननद- -देवर का तो छोटा-सा काम भी उसकी सलाह के बिना पूरा नहीं होता था। जाते वक्त कह रही थी, 'आप लोगों से जी भरकर बातें भी न कर पाई। जाने का तो दिल नहीं कर रहा, पर आपने ही तो सिखाया है कि अब इस घर से ज्यादा जिम्मेदारियां उस घर के प्रति हैं।'

मुझे याद आने लगा वह दिन, जब हम महिमा के लिए रिश्ता तलाश रहे थे। उन दिनों मन अनेक आशंकाओं से घिरा रहता था। लड़के की सूरत, आय, परिवार के संस्कार, संपन्नता हर छोटी-बड़ी बात पर गौर करना पड़ रहा था। बेटी के सुखी भविष्य के लिए शादी से पहले जितना सोच-समझकर निर्णय लें, उतना ही अपने हाथ में होता है। एक बार शादी हो जाए, फिर कुछ नहीं किया जा सकता, इसलिए मैं कोई जल्दबाजी नहीं करना चाहता था ।

कई रिश्ते देखने-सुनने के बाद अंततः दो रिश्ते हमें पसंद आए, जिस पर बात आगे बढ़ी। उन लोगों ने महिमा से मिलकर, उसे देखकर रिश्ता पक्का करने की बात कही। रविवार की शाम महेश और उसका परिवार हमारे घर आया। सबकुछ हमें एक नजर में ही भा गया। उन्हें भी महिमा पसंद आ गई। उन लोगों ने आगे का कार्यक्रम तय करने के लिए हमें आमंत्रित किया ।

वहीं शादी तय करने से पहले हमने एक बार दूसरे परिवार से भी मिल लेना उचित समझा, क्योंकि कई मामलों में यह परिवार बेहतर जान पड़ रहा था। जब इस परिवार से भी हां हो गई तो हमारे पैर जमीन पर न रह गए। हमने महिमा का रिश्ता इसी परिवार में तय करने का निर्णय ले लिया । यह परिवार महेश के परिवार से संपन्न भी था और लड़का अंकित भी महेश से ज्यादा आकर्षक लग रहा था। घर में खुशी की लहर व्याप्त हो गई। तभी पिताजी का स्वर गूंजा- महिमा की शादी महेश से होगी, अंकित से नहीं।

पिताजी के इस निर्णय से हम सभी आश्चर्यचकित हो गए, 'ऐसा क्या है महेश में, जो उसके आगे आप इतने अच्छे रिश्ते को नकार रहे हैं! महिमा उस घर में खुश रहेगी, तो उसकी शादी वहां क्यों न करूं? मैंने पूछा। 'मैं महिमा का बाबा हूं, तुमसे ज्यादा उसके सुखी भविष्य की चिंता मुझे है। मेरी अनुभवी आंखों ने जो परखा है, उसके आधार पर मेरा निर्णय अटल है।' पिताजी ने उत्तर दिया ।

पिताजी से ज्यादा बहस की गुंजाईश नहीं थी और उनके विरुद्ध जाने का तो सवाल ही नहीं उठता था, लेकिन घर में मायूसी-सी छा गई। दोनों रिश्तों की तुलना में महेश का रिश्ता हमें फीका ही लगता था, अतः हमारा उत्साह खोने लगा था।

रात में बच्चों के सो जाने के बाद एक बार हम फिर पति-पत्नि ने बाबूजी से बात करने की हिम्मत जुटाई। हमें देखते ही बाबूजी बोल पड़े, 'मुझे पता है तुम लोग क्या कहने आए हो, पर मेरा फैसला नहीं बदलेगा।'

'हम आपकी इच्छा के विरुद्ध नहीं जाएंगे, फिर भी हम यह जानना चाहते हैं कि आपने महेश और उसके परिवार में ऐसा 'मैंने महेश के परिवार में संस्कारों और सम्मान की झलक पाई है। ऐसे परिवारों में कभी प्रेम का अभाव नहीं रहता। ऐसा परिवार खुशियों से भरा रहता है और हमेशा फलता-फूलता है। थोड़ा-सा आर्थिक अंतर वहां महसूस नहीं किया जाता, क्योंकि खर्च करने के लिए ऐसे परिवारों में प्यार इतना होता है कि धन-दौलत की खास जरुरत नहीं पड़ती।

'...पर पिताजी अंकित के परिवार में भी कोई उच्छृखंलता (ओछापन) नजर नहीं आई। वे भी काफी संयमित थे ।'

'हो बेटे, कुछ घंटों के लिए हम अपना व्यवहार परिस्थिति के अनुरुप ढाल सकते हैं, पर जो सच्चाई होती है, वह छुप नहीं सकती। तुम सब तो मेहमानों की आवभगत में लगे रहे और उनके बाह्य आवरणों में उलझ गए। पर मैं बुजुर्ग उन्हें अपनी अनुभवी आंखों से उन्हें आर-पार देख रहा था ।

'तुम लोग अंकित की बड़ी सी गाड़ी देखकर संतुष्ट हो गए। पर मैं उसी गाड़ी की पिछली सीट से उतरते उस परिवार के सबसे बुजुर्ग सदस्य, अंकित के दादाजी को देखकर असंतुष्ट हो गया। तुम सबको पता है कि गाड़ी की अगली सीट पर किसका हक होता है और पिछली सीट पर किसे बिठाया जाता है। पिता पीछे छोटे-छोटे बच्चों और सामानों के साथ...? तुम सबने सबके साथ सबसे पहले मेरा परिचय करवाया । पर उन्होंने अपने परिवार का परिचय पद और दबदबे के हिसाब से दिया, जिसके आधार पर उनके पिताजी का नम्बर बेटों के बाद आया ।

'घर में उछल-कूद मचाते बच्चों की हरकतें शायद तुम्हें उनकी बालसुलभ चंचलता लगी हो, पर उनकी तुलना में मुझे महेश के परिवार के बच्चों का संयमित व्यवहार अत्यंत शोभनीय लगा। तुम लोगों के बनाए व्यंजनों की तारीफ सबने की और तुम खुश हो गए, पर मैंने दोनों परिवारों के बीच का फर्क खाने की टेबल पर भी देखा। महेश के परिवार में उनकी मां ने बच्चों को प्यारभरी हिदायत दी कि जो चीज पसंद नहीं उसे प्लेट में न डालें और पूरा खाना खाएं। उस महिला के लिए यह बात मायने नहीं रखती थी कि वह अपने घर पर है या कहीं और। उसका परिवार जहां भी हो, अन्न का सम्मान करना वह जानती है, इसलिए उस घर के किसी सदस्य ने प्लेट में जूठन नहीं छोड़ी। यह तुम्हें स्वादिष्ट भोजन का असर लगा होगा, पर मुझे उस परिवार के संस्कार झलके उन प्लेटों में ।

बेटे, इंसानों के कुछ आंतरिक स्वभाव ऐसे होते हैं, जिन्हें कितना भी बनावटी आवरणों से ढकने की कोशिश करो, वे अपनी झलक दिखा ही जाते हैं। बस, देखने वाली परिपक्व आंखें चाहिए।

 
... 'महिमा को महेश के साथ एक सम्पूर्ण परिवार मिलेगा, जहां उसे किसी बनावटीपन का सामना नहीं करना पड़ेगा। बस, प्यार दो प्यार लो। वहां वह बहुत खुश रहेगी। रुपए-पैसे उसकी किस्मत में होंगे, तो आ ही जाएंगे... और वैसे भी बहुत कुछ है उनके पास महिमा को देने के लिए।

पिताजी की बातों ने हमें निरुत्तर कर दिया। यह तो सच ही है कि सुखी रहने के लिए जितना जरुरी मान सम्मान और प्रेम है, उतना धन-दौलत नहीं। हमने पिताजी की बात मानी और आज महिमा को सुखी देखकर उनके निर्णय पर गर्व महसूस करता हूं।

- शन्नो श्रीवास्तव

 

saral vichar 

-----------------------------------------------

Topics of Interest

सही जीवनसाथी चुनना, sukhi jeevan tips, परिवार में संस्कार का महत्व, marriage life success mantra, happy married life in hindi, love respect in relationship, ससुराल और मायके का रिश्ता, शादी में क्या देखना चाहिए, parivar ke sanskar, successful marriage tips, धन और संस्कार का फर्क, sukhi jeevan mantra

एक टिप्पणी भेजें (POST COMMENT)

0 टिप्पणियाँ