माँ तू क्यों इतना खटती है, जग सोता तू क्यों जगती है,
क्यों आँसू हमसे छिपाती हैं, सामने बस मुसकाती है।
जब कभी रूठ मैं जाती हूँ, मुझे नए खिलौने से बहलाती है।
जब चोट मुझे लगती है, सारा घर सर पे उठाती है।
खुद गीले पे सो जाती है, पर मुझे सूखे पे लिटाती है।
खुद सर्द हवाएँ सहती है, पर स्वेटर मेरा बुनती है।
हरदम सतर्क तत्पर रहती है, जैसे सेना में भर्ती है।
फूँक फूँक खाना खिलाती है, जब उंगली मेरी जलती है।
बिन बोले सब कुछ जान जाती है, भावों की भाषा पड़ती है।
आटे की गुड़िया बनाती है, और खुद भूखी सो जाती है।
हर संकट से बचाती है, दुर्गा काली बन जाती है।
नित नए पाठ पढ़ती है, मेरी शिक्षिका बन जाती है।
जब विद्यालय को देर हो जाती है, संग दौड़ मेरे लगाती है।
खुद पसीने से नहाती है, पर पंखा मेरा झलती है।
संग हंसी ठिठोली करती है, सखी सहेली सब बनती है।
निस्वार्थ भाव छलकाती है, प्रेम से गले लगाती है।
मेरा दुख पहचानती है, बस कामयाबी की दुआ मांगती है।
बारिश से मुझे बचाती हो, छाता मेरी बन जाती है।
माँ बहुत प्रेरणादायक है, मेरी कहानी की नायक है।
ईश्वर जहां जा नहीं पाता है, वहाँ वो माँ को बसाता है।
सारी दुनिया सच कहती है, जन्नत माँ के चरणों में रहती है।
मां को बनाकर खुदा बेरोजगार हो गया
खुदा का काम था मोहब्बत...
वह मां करने लगी ।
खुदा का काम था हिफाजत
वह मां करने लगी ।
खुदा का काम था बरकत
वह भी मां करने लगी ।
देखते ही देखते कोई और परवरदिगार हो गया...
वह बहुत मायूस हुआ ।
बहुत पछताया...
क्योंकि मां को बनाकर खुदा बेरोजगार हो गया।
1. ऊपर जिसका अंत नहीं, उसे आसमां कहते हैं। जहां में जिसका अंत नहीं उसे माँ कहते हैं।
2. 'माँ! कैसी हो?' इतना ही पूछ, उसे मिल गया सब कुछ। जिस मुन्ने को मां-बाप ने बोलना सिखाया था... वह मुन्ना बड़ा होकर मां-बाप को मौन रहना सिखाता है।
3. पेट में पांच बेटे जिसे भारी नहीं लगे थे, वह मां... बेटों के पांच फ्लैटों में भारी लग रही है।
4. पत्नी मनपसंद मिल सकती है, मां पुण्य से ही मिलती है। पसंद से मिलने वाली के लिए पुण्य से मिलनेवाली को मत ठुकराना।
5. मां-बाप को वृद्धाश्रम में रखनेवाले ऐ नौजवान! तनिक सोच कि उन्होंने तुझे अनाथाश्रम में नहीं रखा, उस भूल की सजा तो नहीं दे रहा है न?
6. बचपन के आठ साल तुझे ऊंगली पकड़कर जो मां बाप स्कूल ले जाते थे, उन मां-बाप को बुढ़ापे के साल सहारा बनकर मंदिर ले जाना।
7. बंटवारे के समय घर की हर चीज पाने कि लिए झगड़ा करने वाले बेटे, दो चीजों के लिए उदार बन जाते हैं, जिनका नाम है माँ-बाप ।
8. माँ! पहले आंसूं आते थे और तू याद आती थी। आज तू याद आती है और आंसूं आते हैं।
3. पेट में पांच बेटे जिसे भारी नहीं लगे थे, वह मां... बेटों के पांच फ्लैटों में भारी लग रही है।
4. पत्नी मनपसंद मिल सकती है, मां पुण्य से ही मिलती है। पसंद से मिलने वाली के लिए पुण्य से मिलनेवाली को मत ठुकराना।
5. मां-बाप को वृद्धाश्रम में रखनेवाले ऐ नौजवान! तनिक सोच कि उन्होंने तुझे अनाथाश्रम में नहीं रखा, उस भूल की सजा तो नहीं दे रहा है न?
6. बचपन के आठ साल तुझे ऊंगली पकड़कर जो मां बाप स्कूल ले जाते थे, उन मां-बाप को बुढ़ापे के साल सहारा बनकर मंदिर ले जाना।
7. बंटवारे के समय घर की हर चीज पाने कि लिए झगड़ा करने वाले बेटे, दो चीजों के लिए उदार बन जाते हैं, जिनका नाम है माँ-बाप ।
8. माँ! पहले आंसूं आते थे और तू याद आती थी। आज तू याद आती है और आंसूं आते हैं।
SARAL VICHAR
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