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देवी माता की गर्दन और औरत की कहानी - तेरा की (तेरा क्या गया) / DEVI MATA KI GARDAN OR OURAT KI KAHANI | Story Of Goddess Mata's Neck And Woman - Tera Ki (Tera Kya Gaya) In Hindi By Saral Vichar

देवी माता की गर्दन और औरत की कहानी - तेरा की (तेरा क्या गया) / DEVI MATA KI GARDAN OR OURAT KI KAHANI |  Story Of Goddess Mata's Neck And Woman - Tera Ki (Tera Kya Gaya) In Hindi By Saral Vichar


एक औरत को हर समय कुछ खाने की आदत थी। उसके घर में श्राद्ध था। देवरानियों व जेठानियों ने सोचा कि यदि यह रसोई बनायेगी तो सब भोजन जूठा हो जायेगा तो उन्होंने उससे कहा कि तू नदी पर कपड़े धोने को जा। उनका अनुमान था कि यह कपड़े धोकर आयेगी तब तक श्राद्ध की पूजा आदि समाप्त हो जायेगी।

पर आदत से लाचार उस औरत ने कपड़े की गठरी में थोड़ा सा आटा चुरा कर रख लिया। नदी पर गई तो कुछ ही देर में उसे भूख लगी और नदी के पानी से आटा उसन किया। नदी के पास ही श्मशान घाट था। मुर्दे जल रहे थे। औरत ने आटा थपथपाकर रोटी बनाई और मुर्दे की आग पर सेक लिया। सामने ही देवी का मन्दिर था। मन्दिर में वह औरत ऊपर चढ़ गई और दीपक से थोड़ा घी लेकर रोटी पर लगाकर खाने लगी। उसे ऐसा करते देख देवी माता की गर्दन झुक गई। अर्थात गर्दन टेढ़ी हो गई।

पुजारी ने देखा तो सारे गांव में बताया कि किसी ने ऐसा पाप किया है कि देवी माता की गर्दन टेढ़ी हो गई है। सबने मन्दिर जा-जा कर प्रायश्चित किया पर देवी माता का मुंह सीधा न हुआ। औरत ने जब सुना तो समझ गई और जल्दी से मन्दिर में जाकर देवी माता के कान में बोली - "आटा मैंने चुराया, श्मशान में रोटी मैंने बनाई, घी मैंने लिया वो भी तेरा नहीं था, भक्तों ने भेंट चढ़ाया था तो तू क्यों रंज भई? तेरा की? उसी समय देवी माता का मुंह सीधा हो गया .....

सच्ची बात है, जो करेगा वो भोगेगा, भरेगा, तू क्यों भयो उदास । 

सिद्धान्त :- अपनी करनी हर एक आप भरे, तुम क्यों दूसरों का कर्म देखते हो, तुम्हारा क्या? तेरा की। आपै बीज आपै खाए नानक दुकमी रहयो समाय ।

सभी अपने कर्मों का खाते हैं दुख आने पर किसी को दोष ना दें। ज्ञानी को दुख आता है तो वह यही सोचता है कि यह मेरे ही कर्मों का फल है।

सरल विचार 

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