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चमत्कार की भूल और सही जीवन की सीख | Karma Se Safalta

चमत्कार की भूल और सही जीवन की सीख | Karma Se Safalta - www.saralvichar.in

आज कुछ लोग चाहते हैं कि मेहनत के बजाय चमत्कार से धन प्राप्त किया जाए। तंत्र-मंत्र का सहारा लेते है जो कि सुख की बजाए दुःख का प्रतीक है। ऐसे दुनिया में कई उदारहण हैं जो कि घटते रहते हैं। दुनिया कर्म प्रधान है। जो लोग कर्म करते हैं, वो ही समाज में आगे बढ़ते हैं। गीता में भी भगवान श्रीकृष्ण ने ऐसा ही लिखा है। आज देश में लाटरी और शेयरों कर व्यापार बढ़ा है। ज्यादातर लोग चाहते हैं कि मेरे पास धन आए। रिश्वत, भ्रष्टाचार का बोलबाला बढ़ रहा है और भी ऐसे कई किस्से हैं जो सुनाई देते हैं। इंसान झूठे सुख को अपनी जिंदगी का सार समझने लगा है। कुछ टाईम बाद वही दुःख का कारण हो जाता है। आज बड़े लोग भी जल्दी सुख की चाह में फंसते जा रहे हैं।


एक गरीब आदमी की लाटरी निकल आई। दस लाख का इनाम था। उसकी पत्नी को पता चल गया कि हमारी लाटरी निकली है। उसका पति दूसरे दिन आने वाला था। पत्नी को चिंता थी कि मेरा आदमी इतने पैसे की खबर सुनकर पागल न हो जाए। पड़ोस में पादरी रहता था। उससे कहा कि मेरे आदमी को आप जरा समझा कर बताना ताकि उसे कोई झटका न लगे। वो दूसरे दिन अपने पति को पादरी के पास ले गई। पादरी ने उसे बिठाया और पूछने लगा कि अगर तुम को कहीं से दस हजार रुपये मिल जाएं तो क्या करोगे? वो आदमी बोला- जो थोड़ा बहुत कर्जा है, उसे चुका दूंगा। कुछ पैसा जमा कर लूंगा। पादरी बोला: अगर एक लाख रुपये मिल जाएं तो क्या करोगे? वो आदमी बोला कुछ का सामान खरीदूंगा। घर बना लूंगा। कुछ पैसे जमा कर लूंगा। पादरी बोलाः अगर तुझे पांच लाख मिल जाएं तो क्या-क्या करोगे? वो बोला- पादरीजी आप इतने अच्छे हैं, दो लाख आपको दे दूंगा। यह बात जब पादरी ने सुनी तो एकदम हार्टफेल हो गया। दो लाख मुझे मिलेगा। यह है चमत्कार का चक्कर। पैसा कभी-कभी दुखदाई बन जाता है।

एक बार एक खबर छपी थी नवभारत टाईम्स में। अमेरिका में एक आदमी को लॉटरी लगी थी दस करोड़ की। उसको 2005 में लॉटरी लगी, तब वो चौतीस साल का था। 2007 में उस आदमी का देहांत हो गया। लाटरी लगने के बाद उसने काम-धंधा बंद कर दिया। सिर्फ खाना और सोना ही काम था। आखिर मौत ने उसे अपना ग्रास बना लिया। ऐसे कई उदारहण है।

बाप मरता है और बेटे को दौलत मिलती है तो कई बार बेटा निकम्मा हो जाता है। अक्सर ऐसा ही देखा गया है। ज्यादा चमत्कार हमारे देश में ही होते हैं। पुराना रिवाज चला आ रहा है। काफी लोग चमत्कार को नमस्कार करते हैं।

एक बाप के दो बेटे थे। बाप बड़ा कंजूस था। पैसा बहुत था। बड़े बेटे ने सोचा मैं अपना जीवन अलग बिताऊंगा और बाप से जो भी मिला था वो लेकर अलग हो गया और अपने दिन गुजारने लगा। दूसरा बेटा बाप के पास था। बुढ़ापे का दौर था। एक दिन डॉ. कहने लगा आपका बाप दो-तीन घंटे में मर जाएगा। आपको जिसे बुलाना है बुला लो। लड़का कभी बाप को देखे कभी तिजोरी को। सबको बुला लिया। इंतजार था कि कब बुलावा आए। रात होने जा रही थी। एक-एक  करके रिश्तेदार, पड़ोसी जाने लग गए। बूढ़ा ठीक था। कुछ लोग बाहर से आए थे वो वहीं रुक गए। सुबह हो गई। पड़ोसियों ने देखा रोने की आवाज आ रही है। सोचा बूढ़ा मर गया। जब पड़ोसी आए तो क्या देखा बूढा तो ठीक है मगर लड़का गुजर गया। वो सारी रात तिजोरी को देखकर इतना दुःखी था कि कब मेरे हाथ पैसा आएगा। उसी के चक्कर में उसकी मौत हो गई। हर आदमी चमत्कार ही चाहता है। उसी में सुख से दूर होता जा रहा है। कर्मफल दुनिया का सबसे मीठा फल है।

  

SARAL VICHAR

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