जिंदगी छोटी नहीं होती। हमारी ख्वाहिशें बढ़ जाती हैं। एक इच्छा पूरी होती है तो दूसरी शुरु होती है। वैसे भी कोई चीज हमें तब तक अच्छी लगती है जब तक दूसरों के पास होती है। अगर हमने ले ली तो बस इच्छा खत्म। फिर दूसरी इच्छा शुरु। तो अंत कब करेंगे? अगर तुममें कोई इच्छा नहीं है तो तुम भगवान के नजदीक हो।
अगर किसी से कुछ भी नहीं चाहोगे तो किसी के गुलाम भी
नहीं बनोगे। इच्छाएं ही तो हमें गुलाम बनाती हैं।
प्यार चाहिए.... मान चाहिए....
बेटा चाहिए.... पोता चाहिए , सबकी इच्छा करते हैं। सब मिलने के बाद भी सुख मिलेगा? शांति
मिलेगी? संतोष आएगा?
माया की चीजें याने (जो भी चीजें हमें आकर्षित करती हैं) माया के पदार्थ
तो सिरके (Vinegar) की तरह हैं जो जितने मिलते हैं हमारी और प्यास बढ़ाते हैं। जितना मिलेगा
मन कहेगा और चाहिए....।
एक सत्संग ही है जहां सारी इच्छाएं आकर
खत्म हो जाती हैं। सब कुछ मिल भी गया पर भगवान न मिला तो क्या मिला? मुक्ति
न मिली तो क्या मिला? एक गुरु मिलने से संतोष आता है। भरपूरता आती है। मन
में संतोष रहता है।
पूरी दुनिया पैसे के पीछे भाग रही है। जबकि सबको पता है
कि सब यहीं छोड़ जाना है।
ईश्वर से इतनी ही प्रार्थना करो कि...
कबीर का दोहा है... प्रभू इतना दिजिए जामे कुटुंब समाए, मैं भी भूखा ना
रहूं, साधू ना भूखा जाए। दूसरों की भी मदद कर सकें। सिर्फ तिजोरियों में
भरने के लिए ही नहीं।
SARAL VICHAR
-----------------------------------------------
Topics of Interest
khwaahishon ka ant, maya se mukti, santosh ki life tips, inner peace hindi english, guru se santosh kaise paaye, money se santosh nahi, spiritual growth tips, bhagwan se prarthana, maya aur man shanti, desires control tips, contentment in life hindi, inner satisfaction guide
0 टिप्पणियाँ