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अधिकारों का दुरुपयोग | ABUSE OF RIGHTS ( SUDHANSHUJI MAHARAJ)

अधिकारों का दुरुपयोग (सुधांशु जी महाराज) | ABUSE OF RIGHTS ( Sudhanshuji Maharaj) - www.saralvichar.in


एक राजा रोज सोचता कि रोज २-३ लोगों को फांसी लगनी ही चाहिए। वह किसी न किसी कारण प्रजा के लोगों को फांसी की सजा देता।

एक संत ने आकर उससे कहा कि राजन तुम अगर किसी रेगिस्तान में फंस जाओ। पानी की एक बूंद न मिले, तुम बिल्कुल मरने की स्थिति में हो जाओ कि पानी के बिना जिंदगी बचने के आसार न हों। तब कोई तुम्हें एक कटोरा सड़ा गला पानी लाकर दे और तुमसे आधा राज्य मांगे?

 राजा बोला- जिंदगी बचाने के लिए मैं राज्य दे दूंगा। संत ने कहा कि वह पानी पीकर तुम बीमार हो जाओ, मरने की स्थिति हो जाए। वैद्य तुम्हें ठीक करने के लिए तुम्हारा आधा राज्य मांगे तो ? 

राजा बोला- जिंदगी न रही तो राज्य का क्या करूंगा! वह भी दे दूंगा।
संत बोला- एक कटोरे पानी के लिए तुम अपना राज्य दे सकते हो। अपनी जिंदगी से इतना प्यार और दूसरों की जिंदगी की कीमत तुम नहीं समझते ? 

अधिकारों का दुरुपयोग (सुधांशु जी महाराज) | ABUSE OF RIGHTS ( Sudhanshuji Maharaj) - www.saralvichar.in

 राजा की आंखें खुल गई। उसने कसम ली कि आगे से वह किसी की जान नहीं लेगा।

हर किसी के दिल में दया, वाणी में मधुरता, हाथों से सेवा होनी चाहिए।

कैसी भी स्थिति हो। जीवन में सुख-दुख, गर्मी सर्दी लगती रहेगी।

हमेशा योद्धा बने रहो। हर जगह जीत कर दिखाओ, पर प्रेम से।

अंत समय में भगवान को याद करना चाहिए। पर हमें तो पता नहीं कि कौनसी घड़ी आखरी है तो हमें हर समय भगवान को याद करना चाहिए। जैसे दिन उगे तो जिंदगी की शुरुआत है और रात हो तो ऐसे सोईए कि जैसे ये नींद मेरी आखरी है। इसका यह अर्थ बिल्कुल नहीं कि फटेहाल रहें, कोई उमंग न हो। जीओ तो उमंग से रहो।

राजा जनक के दरबार में किसी ने देखा कि वह नाच-गाने में डूबा हुआ है। राजा जनक ने कहा ये शरीर पैदा हुआ है तो इसको जाना भी है, यह बात मुझे हमेशा याद रहती है। मौत हमेशा याद रहती है।

एक बार केदारनाथ में लोग गए थे। काफी लोग वहां हादसे में मर गए। वहां से बचकर आए एक करोड़पति ने अपनी बात सुनाई। कहने लगा- वहां पर ऐसी स्थिति थी कि खाने को कुछ नहीं था। पानी जो बर्फ का था उसे पी नहीं सकते थे। फिर हैलिकाप्टर से सहायता में बिस्किट गिराए जाने लगे । वो आदमी दोनों हाथ फैलाए खड़ा था कि बिस्किट उसके हाथ में गिरे। बोला- हाथ फैलाए खड़ा था तो सारा अहंकार टूट गया। पास में नदी बह रही थी। ऊपर देखते-देखते हाथ फैलाए बिस्किट के लिए दौड़ रहा था। एक पैकेट मिला भी पर वह नदी में गिर गया।

इसलिए कौनसी घड़ी आखरी है, पता नहीं। सुबह उठो तो सोचो नई जिंदगी मिली है। रात में सोओ तो सब काम उतारकर। किसी में आसक्ति न रखो। सब काम उतारकर याने बेटी की शादी करनी है या पोते का मुंह देखना है यह नहीं सोचना । किसी में इच्छा रखोगे तो अगर वह इच्छा मन में ही रह गई तो फिर से कौनसी योनि मिले? बेटी की शादी नहीं हुई तो तुम्हारे मरने के बाद क्या उसकी शादी नहीं हो पाएगी? या तुम्हारे बिना पोता-पोती जन्म नहीं लेंगे।

अपना काम उतारकर सोओ का अर्थ मोह नहीं रखो। न पैसे में, न घरवालों में । भगवान को हमेशा याद करो कि हे ईश्वर सब तुम्हारा ही दिया हुआ है तो अहंकार नहीं आएगा। जहां पर भी ये ख्याल आएगा कि यह सब परिवार मेरा है और सारा धन मैंने कमाया है, बस उसी वक्त से तुम नीचे गिरना चालू हो जाओगे।

किसी ने पूछा था कि लोग इतना झूठ बोलते हैं, ठगी करते हैं फिर भी वे ही लोग हर तरह का सुख क्यों भोगते हैं? जवाब में इतना ही कहूंगा कि जैसे-जैसे उसके पापों का घड़ा भरेगा या उसके पुण्य खत्म होंगे तभी ये सारी सुविधाएं भी उससे छिन जाएंगी। अगर वह बिमार हो जाए तभी भी उन सुविधाओं को भोग नहीं सकेगा। किंतु न जाने किस जन्म के हमारे ऐसे कर्म हों जो हमें याद ही नहीं हों, इस जन्म में हमने बुरे कर्म नहीं किए हों तो भी हमें उस बिमारी को या उस हालात को स्वीकार करना है। यह सोचकर चलना है कि मेरे कर्म कट रहे हैं।

ओम

 

SARAL VICHAR

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