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कैंसर कैसे होता है? | CANCER KAISE HOTA HAI? | How Does Cancer Occur?

 

कैंसर कैसे होता है? | CANCER KAISE HOTA HAI? | How Does Cancer Occur? - www.saralvichar.in

(कैंसर कैसे होता है? किसी बड़े साइंटिस्ट ने कहा है Luck का खराब होना...)

कैंसर सबके अंदर होता है सबके शरीर में कैंसर के सेल्स बनते हैं रोज, और हम जब सबके शरीर में कैंसर से लड़ने वाली शक्ति उन्हें खत्म कर देती है।
इनका तालमेल खत्म हो जाने से कैंसर होता है। हमारा जीवन सेल्स के बनने के आधार पर ही चलता है। नए सेल्स का बनना और पुराने सेल्स का खत्म हो जाना, यह क्रिया मां के पेट से शुरू होकर मरने तक चलती रहती है। 
हमारे पैदा होने की क्रिया भी यहीं से शुरू होती है।
जब हम पैदा होते हैं तब हमारा वजन ढाई या 3 kg होता है। तो सेल्स कितनी बार मल्टीप्लाई हुए होंगे इसका अंदाजा आप लगा सकते हैं। 
जो invisible था, साइज भी नहीं था, shape भी नहीं था। वह 3 kg का हो गया। यह सब सेल्स के पैदा होने से हुआ। कुछ खराब सेल्स भी होते हैं। इसके लिए भी भगवान ने एक सिस्टम रखा है। हमारा ह्यूमन सिस्टम खराब सेल्स को नष्ट कर लेता है। 
ऐसे भी होता है कि हमारे ह्यूमन सिस्टम ने उन खराब सेल्स को खत्म ना किया तो जब उनकी मात्रा बढ़ जाती है तो उसे कैंसर कहते हैं।
वह सेल्स अंदर ही अंदर पहले शरीर की चीजों को खराब करने लगता है तब जाकर उसके लक्षण नजर आते हैं। इसलिए कैंसर हमें देर से पता चलता है कि कैंसर है। जब एक जगह से दूसरी  जगह चला जाता है तब देर हो चुकी होती है।
किसी बड़े साइंटिस्ट से पूछा गया कि कैंसर की परिभाषा क्या है? कैंसर किन लोगों को होता है? हालांकि वे कैंसर के इंस्टिट्यूट में सीनियर साइंटिस्ट थे। एक बार उनसे पूछा गया की कैंसर की परिभाषा क्या है? तो वह सिर्फ यह बोले...
Luck का खराब होना... 
लोगों ने उनकी इस बात को सराहा नहीं पर वह अपनी बात पर कायम रहे। 
वह कहते थे मैं यही कहूंगा कि कैंसर डॉक्टर का इम्तिहान है मरीज का नहीं। मरीज तो अपनी एक बीमारी लेकर आया है डॉक्टर के पास। डॉक्टर का काम है उसे ठीक करना।
वैसे जितना जल्दी हो सके उतना ही जल्दी इसका इलाज करना चाहिए।

कैंसर हो ही जाए तो क्या करें? 
1. डॉक्टर को मरीज की history पता होने चाहिए।
2. डॉक्टर द्वारा शरीर का Examination. 
कैंसर के कुछ लक्षण होते हैं या तो वह बाहर गांठ के रूप में दिखता है या तो अंदर गांठ होती है।

कैंसर के लक्षण 
अगर आंत का कैंसर होता है तो मल मूत्र में रक्त आना, थकान महसूस होना, वजन घटना, गुदा या मलाशय में गांठ महसूस होना।
अन्ननली का कैंसर होता है तो खाना खाते वक्त पानी पीने की जरूरत पैदा होगी खाने को निगलने के लिए।
हीमोग्लोबिन कम होना।
जरूरी नहीं है कि हर किसी को यह लक्षण होने पर कैंसर ही हो। 100 में से सिर्फ दो लोगों को कैंसर होता है। 
कैंसर में हमें डॉक्टर को पूछना चाहिए कि मैं जो इलाज करवा रहा हूं उससे कितना फायदा होगा? हमारा कितना पैसा खर्च होगा? 
क्योंकि देखा गया है कि कई rich लोग गरीब हो जाते हैं इलाज करते करते। हमें उतना रिजल्ट मिल रहा है जितने पैसे खर्च हो रहे हैं?
डॉक्टरों का ऐसा कहना भी नहीं चाहिए कि तुम यह कर लो, इससे यह फायदा हो जाएगा। तुम यह नहीं करोगे तो सिर्फ 3 महीने जिंदा रहोगे और तुम यह कर लो तो 3 साल उम्र रहेगी। यह बिल्कुल गलत राय है। मैं समझता हूं डॉक्टर को कभी ऐसी राय नहीं देनी चाहिए कि अगर तुम इलाज करोगे तो तुम्हारी जिंदगी बढ़ जाएगी। 
वह आदमी क्या करेगा? वह तो यही कहेगा कि मैं इलाज करूंगा। कौन कहेगा हम 6 महीने में मर जाएं। कभी-कभी इलाज करा कर भी वह इंसान 6 महीने में ही चला जाए। तो उसने तो 3 साल की जिंदगी सोची थी पर वह तो 6 महीने में चला गया। 
ऐसे में जानकार डॉक्टर या फैमिली फिजिशियन से सलाह लें। अगर डॉक्टर के हाथ में सब होता तो आज कोई डॉक्टर नहीं मरता। सिर्फ पैसा अंधाधुंध खर्च करना यह गलत तरीका है। विदेश में सब कंप्यूटराइज सिस्टम है। अगर हॉस्पिटल ने कहा की कीमोथेरेपी से कोई फायदा नहीं होगा तो मरीज अगर दूसरे अस्पताल में जाएगा तो उसे वहां भी वही जवाब मिलेगा।  
पर यहां एक डॉक्टर यह सोचेगा कि मैं मना करूंगा तो यह दूसरे अस्पताल से इलाज शुरू कर देगा तो क्यों ना हम ही इलाज करते रहें। फिर मरने तक इलाज चलता रहेगा। कैंसर में मरीज को 80-85 % पता होना ही चाहिए कि इतने पैसे खर्च करने पर भी मुझे क्या रिजल्ट मिलेगा?


हमें खाना उतना खाना चाहिए कि हमें थोड़ी भूख लगती रहे। खाना उतना ना खाएं कि सिर्फ खाने से पूरा पेट भर जाए। अगर खाना ज्यादा खाएंगे तो उसको पचाने के लिए अंदर सेल्स का उत्पादन ज्यादा होगा तो कुछ खराब सेल्स भी बनेंगे।

डॉ. जमाल खान 
कैंसर स्पेशलिस्ट

(पतंजलि के राजीव दीक्षित जी कहते हैं किमोथेरेपी नहीं करनी चाहिए।)
 


कैंसर कोई खतरनाक बीमारी नहीं है! कृष्णा डेंटल हॉस्पिटल मीठापुर सब्जी मंडी पटना के संस्थापक सह दंत चिकित्सक डॉ. धर्मेंद्र कहते हैं, लापरवाही के अलावा कैंसर से किसी की मौत नहीं होनी चाहिए। 
(1). पहला कदम चीनी का सेवन बंद करना है। आपके शरीर में चीनी के बिना, कैंसर कोशिकाएं स्वाभाविक रूप से मर जाती हैं।  
(2). दूसरा कदम यह है कि एक कप गर्म पानी में नींबू का रस मिलाएं और इसे सुबह भोजन से पहले 1-3 महीने तक पिएं और कैंसर खत्म हो जाएगा। मैरीलैंड मेडिकल रिसर्च के अनुसार, गर्म नींबू पानी कीमोथेरेपी से 1000 गुना बेहतर, मजबूत और सुरक्षित है। 
(3). तीसरा कदम है सुबह और रात को 3 बड़े चम्मच ऑर्गेनिक नारियल तेल पिएं।
(4) सबसे ज्यादा जरूरी है जहां मौका मिले शुद्ध पानी जरूर पीएं।
(5) तंबाकू जनित पदार्थ से तौबा करें।
(6) शराब का सेवन बिल्कुल न करें। कैंसर गायब हो जाएगा, आप चीनी से परहेज सहित अन्य पांचों उपचारों में से कोई भी चुन सकते हैं। 
अज्ञानता एक बहाना नहीं है। अपने आस-पास के सभी लोगों को बताएं, कैंसर से मरना किसी के लिए भी अपमान है; जीवन बचाने के लिए व्यापक रूप से साझा करें।
डॉ. धर्मेन्द्र कुमार 

एक्सपर्ट के अनुसार, व्हीटग्रास के सेवन से ब्लड में कैंसर कोशिकाओं को कुछ ही दिनों में 65 प्रतिशत तक कम किया जा सकता है। व्हीटग्रास का सेवन ब्लड में ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ाता है। ऑक्सीजन से वंचित स्थितियों में कैंसर कोशिकाएं सबसे अच्छी तरह बढ़ती हैं।

विटामिन ए की कमी से प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर हो जाती है, जिससे शरीर की कैंसर कोशिकाओं को पहचानने और उन्हें खत्म करने की क्षमता कम हो जाती है।

सरल विचार



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