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बच्चों की मासूमियत और ज़िंदगी का सच | Childhood Innocence

 

बच्चों की मासूमियत और ज़िंदगी का सच – हिंदी कविता | www.saralvichar.in


आज बच्चों को शोर मचाने दो
कल जब ये बड़े हो जाएँगे,
ख़ामोश ज़िंदगी बिताएँगे…
हम-तुम जैसे बन जाएँगे।

यही तो जीवन का सच है।
बच्चों की मासूमियत ही सबसे बड़ी प्रेरणा है। जब तक ये छोटे हैं, इन्हें हँसने–खेलने दो, क्योंकि बड़ा होने पर इंसान ज़िंदगी की ज़िम्मेदारियों में उलझ जाता है।

गेंदों से तोड़ने दो शीशें,
कल जब ये बड़े हो जाएँगे,
दिल तोड़ेंगे या ख़ुद टूट जाएँगे,
हम-तुम जैसे बन जाएँगे।

 इस कविता से हमें यह शिक्षा मिलती है कि बचपन का आनंद सबसे बड़ा धन है। बड़े होकर हम अक्सर प्रेरणादायक कहानियों (Inspirational Stories in Hindi) की तलाश करते हैं ताकि टूटा हुआ दिल संभाल सकें।

बोलने दो बेहिसाब इन्हें,
कल जब ये बड़े हो जाएँगे,
इनके भी होंठ सिल जाएँगे,
हम-तुम जैसे बन जाएँगे।

सच है, बचपन की बातें ही दिल को हल्का करती हैं। बड़े होकर हम “समझदार” तो हो जाते हैं पर हँसी–मज़ाक और दिल की बातें खो बैठते हैं।

दोस्तों संग छुट्टियाँ मनाने दो,
कल जब ये बड़े हो जाएँगे,
दोस्ती–छुट्टी को तरस जाएँगे,
हम-तुम जैसे बन जाएँगे।

यही तो ज़िंदगी का संदेश (Spirituality in Hindi) है कि बचपन का हर पल उत्सव है।

भरने दो इन्हें सपनों की उड़ान,
कल जब ये बड़े हो जाएँगे,
पर इनके भी कट जाएँगे,
हम-तुम जैसे बन जाएँगे।

यह कविता हमें याद दिलाती है कि सपनों का मूल्य तभी समझ आता है जब ज़िम्मेदारियाँ हमें बाँध लेती हैं।

बनाने दो इन्हें काग़ज़ की कश्ती,
कल जब ये बड़े हो जाएँगे,
ऑफ़िस के काग़ज़ों में खो जाएँगे,
हम-तुम जैसे बन जाएँगे।

खाने दो जो दिल चाहे इनका,
कल जब ये बड़े हो जाएँगे,
हर दाने की कैलोरी गिनाएँगे,
हम-तुम जैसे बन जाएँगे।

रहने दो आज मासूम इन्हें,
कल जब ये बड़े हो जाएँगे,
ये भी “समझदार” हो जाएँगे,
हम-तुम जैसे बन जाएँगे।

 

ज़िंदगी की असली खुशी इन्हीं मासूम पलों में है। 

 

SARAL VICHAR 

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