कुछ मनचले छात्रों ने आपस में तय किया कि आज
मास्टर को स्कूल से वापस घर भेजना है। जब वे कक्षा में आए तो एक ने कहा: 'सर!
आज आपकी ठोड़ी अंदर धंस गई हैं।'
दूसरे छात्र ने 'सर' की नाड़ी पकड़ी, फिर बोला: 'सर! आपको रात को बुखार आया था क्या? अभी भी शरीर थोड़ा गर्म है।
सरः 'नहीं तो!
तीसरा छात्रः 'वाकई सर! आपको बुखार है।'
पांचवा
छात्र: 'सर! यदि आप बुखार में भी काम करते रहेंगे तो हो सकता है ज्यादा
बिमार पड़ जाएं। अगर आपको न्यूमोनिया हो जाएगा तो? सर! कृपया आराम करिए। आप
थके हुए हैं और बुखार का भी असर है।
छठवाँ छात्र: 'अभी दो महीने
बाद परिक्षाएं भी होनेवाली हैं। अगर आप जबरदस्ती पढ़ाएंगे तो हो सकता है
परिक्षाओं के दिनों में आपको न्यूमोनिया हो जाए। क्षमा करें सर! आप आराम
करें।'
देखते ही देखते मास्टर का सर दर्द से फटने लगा और पैर काँपने लगे। उनको बुखार आ गया। वे जल्दी जल्दी घर पहुँचे एवं रजाई ओढ़कर सो गए।
...तो
मानना पड़ेगा कि मन का असर तन पर पड़े बिना नहीं रहता । आपके दो शरीर होते
हैं: एक अन्न मय और दूसरा मनोमय। मनोमय शरीर जैसा सोचता और निर्णय करता
है, अन्नमय शरीर में वैसे ही परिवर्तन होने लगते हैं।
मन जितना
सूक्ष्म होता है, शरीर पर उसका उतना ही गहरा प्रभाव पड़ता है। केवल अपने
शरीर पर प्रभाव पड़ता है ऐसी बात नहीं है बल्कि दूसरों के शरीर पर भी आपके
सूक्ष्म मन का प्रभाव पड़ सकता है। संकल्प में इतनी शक्ति होती है।
SARAL VICHAR
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Topics of Interest
Mind body connection, Manomay sharir aur health, Power of thoughts, Mental influence on body, Positive thinking effect, Mind control techniques, Sanction aur willpower, Mind meditation benefits, Psychosomatic impact, Self discipline aur body health, Subtle mind power, Emotional control tips”
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