एक भक्त था। वह सारा दिन ध्यान भजन में मस्त रहता
था। काम-धंधा कुछ न करता था। स्त्री ने उसे समझा-बुझा कर पचास रुपये दिये
कि कुछ सौदा करो और कुछ काम शुरु करो । रुपये लेकर वह सौदा करने निकल पड़ा ।
रास्ते में एक जगह लिखा था एक वचन दस रुपये में । उसके मन में आया कि पचास
रुपये हैं पांच वचन ले लू । सच्चा सौदा तो यही है। तो उसने पांच वचन लिए ।
१. कहीं भी पांच जने मिलकर अच्छी सलाह दें तो जरूर मानना।
२. अपनी स्त्री को सच न बताना।
३. राजा या गुरु को हमेशा सच बताना।
४. किसी के भी पाप पर पर्दा डालना ।
५. हजार काम छोड़कर पहले सत्संग करना ।
वचन
लेकर चला तो देखा कुछ लोग खड़े आपस में बात कर रहे हैं। उन्होंने उसे
बुलाकर कहा- हमारा एक आदमी मर गया है। हमें व्यापार के लिए जल्दी जाना है।
तुम इसका आखरी क्रिया कर्म कर दो। क्रिया के लिए उन्होंने रकम दी।
आदमी को पहला वचन याद आया और उसने कहना मान लिया। फिर देखा कि मुर्दा सोने के गहने पहने हुए है। इसको कहा यह जेवर और इसकी बाकी सब चीजे आप ले लेना। सो उसने मुर्दा जला दिया और जेवर तथा अन्य सामान अपने घर ले आया । स्त्री ने पूछा कि यह कहाँ से आया ।
उसको दूसरा वचन याद आया उसने कहा कि पहाड़ से सिर टकराया तो यह मिला । यही बात उसने सबको बता दी। अब तो सब जा-जा कर पहाड़ से सिर टकराने लगे। खून बहाकर भी किसी को कुछ न मिला । राजा को खबर पहुंची कि इस तरह लोग पहाड़ से सिर टकरा रहे हैं। खोज खबर निकाली गई और यह आदमी राजा के सामने लाया गया।
उसे तीसरा वचन याद आया और उसने राजा को सब सच-सच बता दिया। राजा उसकी सच्चाई देखकर प्रसन्न हो गया । उसे एक कोतवाल की जरूरत थी तो उसने इसे ही कोतवाल बना दिया। कुछ दिन बाद राजा किसी कारणवश बाहर गया। एक रात कोतवाल ने देखा कि रानी सईस के साथ सोई हुई है।
उसे चौथा वचन याद आया और उसने पाप पर पर्दा डालने के हिसाब से उनपर अपना दुशाला डाल दिया। रानी ने जान लिया कि कोतवाल को उसका पाप मालूम हो गया सो उसे मरवाने की सोची। रानी ने कोतवाल को बुला भेजा और कहा कि तुम सवेरे मटन लाना। मटन वाले को कहलवाया कि जो पहले आवे उसका सिर काटना जो बाद में आवे उसे सिर दे देना । कोतवाल मटन लेने जा रहा था कि देखा सत्संग हो रहा है।
उसे पांचवां वचन
याद आया और वह मटन भूलकर सत्संग में बैठ गया । इधर रानी ने सोचा कि अब मटन
वाले ने कोतवाल का सिर काट लिया होगा । सो भाई को भेजा सिर लाने के लिए ।
भाई पहले पहुंचा तो उसी का सिर कट गया। कोतवाल सत्संग से आया तो उसे भाई का
सिर देकर रानी के पास जाने को कहा । रानी कोतवाल को देखकर हैरान हो गई और
राजा को सब सच-सच बता कर बोली- मैं झूठी, कोतवाल सच्चा ।
सिद्धांत: गुरु के वचनों पर चलने से कष्ट टल जाते हैं। और बाल भी बांका नहीं होता।
SARAL VICHAR
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Topics of Interest
Guru Vachan, Satsang, Faith, Truthfulness, Moral Values, King & Kotwal, Spiritual Lessons, Ethics, Honesty, Life Guidance, Rajneeti, Dharma
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