सुबह का नाश्ता कैसा हो?
वागभट्ट जी एक बहुत ही गहरी बात कहते हैं कि जब आप भोजन करें तो भोजन का समय निश्चित करें। हमारा यह शरीर कभी भी, कुछ भी खा लेने के लिए नहीं बना है। वागभट्टजी कहते हैं कि जब जठराग्नि सबसे ज्यादा तीव्र हो उसी समय भोजन करें तो आपका खाया हुआ एक-एक अन्न का दाना पाचन में जाएगा और रस में बदलेगा । रक्त से मांस, मज्जा, रक्त, वीर्य, मल, मूत्र, मेद और आपकी अस्थियां इनको ये रस मिलेगा फिर शरीर का विकास होगा । तो कभी भी कुछ भी न खाएं।
कभी भी कुछ भी खाने की पद्धति हमारे भारत देश की नहीं है । ये पद्धति यूरोप देश की है। यूरोप के डॉक्टर्स कहते हैं कि थोड़ा-थोड़ा खाओ और दिन में कई बार खाओ । किंतु हमारे देश में यह नियम लागू नहीं होता । इस नियम के अंतर को समझो।
जब सूर्य का उदय होता है तो सूर्य के उगने के ढाई घंटे तक हमारी जठर अग्नि सबसे ज्यादा तीव्र होती है। वागभट्टजी कहते हैं कि इस समय सबसे ज्यादा भोजन करें। संभव हो तो ९ १/२ (साढ़े नौ) बजे के भीतर अगर आपने भरपेट भोजन किया याने नाश्ता न करें, लंच करें। इस अन्न के एक-एक दाने का उपयोग आपके शरीर को मजबूत बनाने के लिए होगा । आपको पता होना चाहिए कि शरीर के सभी अंगों के काम करने का अलग- अलग समय होता है। जठराग्नि के अच्छे से काम करने का वक्त सुबह साढ़े सात से साढ़े नौ बजे के बीच होता है । इसी तरह हृदय के काम करने का समय ब्रह्ममुहुर्त से ढाई घंटे पहले याने १ १/२ बजे से सुबह के ४ बजे तक हृदय सक्रिय होता है। सबसे ज्यादा हार्टअटैक उसी समय आते हैं। आप चाहे तो किसी भी डॉ. से पूछ सकते हैं। ९९% हार्टअटैक अर्ली मॉर्निंग होते हैं। इसी तरह लीवर, किडनी इन सभी के काम करने का अलग समय होता है।
आप सुबह ७ बजे से ९ १/२ के बीच जितना खा सकते हैं, खा लिजिए । चाहे भारी खाना ही क्यों न हो आपको जो चीज अच्छी लगती है, चाहे फिर वह रबड़ी हो, रसगुल्ला हो या जलेबी हो। आलू का पराठा भी खा सकते हैं। पेट की संतुष्टि के साथ मन की संतुष्टि भी होनी चाहिए । अगर आप तृप्त भोजन नहीं कर पा रहे हैं तो यह निश्चित जान लो कि कुछ सालों में आपको मानसिक क्लेश अवश्य होगा।
दोपहर का भोजन कम खाएं, व रात का भोजन उससे भी कम खाएं । मनुष्य को छोड़कर जीव- जगत का हर प्राणी इस सूत्र का पालन करता है। मनुष्य मूर्ख प्राणी है, ऐसा मैं मानता हूं। हालांकि मनुष्य स्वयं को होशियार समझता है किंतु मनुष्य से ज्यादा होशियारी जीव-जगत के प्राणियों में है। चिड़िया सुबह-सवेरे ही दाना चुगती है। सुर्योदय के साथ ही सभी प्राणी भोजन करते हैं। पेट भरने के ४ १/२ घंटे बाद पानी पीते हैं । इसलिए स्वस्थ रहते हैं।
बंदर को कभी हार्टअटैक नहीं आता । बंदर का उदाः इसलिए दिया कि बंदर और इंसान में एक ही अंतर है- पूंछ का । कभी किसी और जानवर या पक्षीयों को भी हार्टअटैक नहीं आता । मेरे अच्छे मित्र हैं डॉ. रविन्द्रनाथ । वे प्रोफेसर हैं। मेडिकल कॉलेज में काम करते हैं। उन्होंने कहा कि मैंने जिंदगी भर रिसर्च किया कि बंदर को बीमार बनाऊं । उन्होंने कहा कि मैंने सुन रखा था कि बंदर बीमार होगा तो मरेगा ही, वह जीवित नहीं रहेगा । वह बोले- मैंने बहुत कोशिश की कि उसके ब्लड का कोलस्ट्रॉल बढ़ा लूं, किंतु वह नहीं बढ़ा आपको शायद पता नहीं होगा कि डॉक्टर जब आपका आर.एछ. नापते हैं तो बंदर से ही कम्पेअर करते हैं। डॉक्टर आपको बताते नहीं यह अलग बात है।
बंदर सुबह-सुबह ही भरपेट खाता है । आप भी सुबह-सुबह भरपेट खाया करो । डायबिटिज, कोलस्ट्रॉल, घुटने का दर्द, कमर का दर्द, गैस, पैरों में जलन यह सब नहीं होगा। नींद अच्छी आएगी । ज्यादा से ज्यादा सुबह १० बजे तक भोजन हो जाना चाहिए, किंतु यह तब होगा जब आप नाश्ता बंद करेंगे । नाश्ता हिंदुस्तानी चीज नहीं है । यह अंग्रेजो की देन है। नाश्ता सबसे ज्यादा करो । लंच उससे कम और रात का खाना उससे कम करो। अंग्रेजों के यहां सूरज नहीं उगता । जठराग्नि सूर्य से संबंधित होती है। अपनी आवोहवा, अपना पर्यावरण, अपनी तासीर अपना वातावरण इनको ध्यान में रखकर ही चलें । यहां हर रोज सूरज निकलता है। कल भी निकलेगा । सदियों से, करोड़ों सालों से निकल रहा है और हमेशा निकलेगा । इसलिए भारत में एवरी मार्निंग इज गुडमॉर्निग । यूरोप वाले तरसते हैं गुड मार्निंग के लिए । हम क्यों इन बातों में फंसे हुए हैं। अच्छी सुबह वहा नहीं होती, इसलिए वहां एक-दूसरे को कहते हैं। गुडमॉर्निंग । नमस्ते में आईए । यहां आप तर्क और कुतर्क मत कीजिए कि दुकान जाना है। ऑफिस जाना है। दुनियादारी संभालनी है। यह सब किसलिए करते हो? इसी पेट के लिए ही तो करते हो । तो पेट को दुरुस्त कीजिए। अगर यह ही ठीक नहीं तो दुनियादारी संभालकर क्या करेंगे? डॉक्टर को ही देंगे ना? उसे देने से अच्छा गौशाला में दे दिजिए। घर से निकलें तो छककर खाकर निकलें।
शाम को भी जठराग्नि तीव्र होती है । शाम का खाना सूर्य रहते खाना चाहिए। सूरज डूबा तो अग्रि भी डूबी। जैन धर्म में रात का भोजन निषिद्ध है वाग्भट्ट भी यही कहते हैं, सिर्फ तरीका अलग है। जैन धर्म में ये मानते हैं कि हिंसा न हो, रात को कोई जीव-जंतु न मर जाए, इसलिए वे लोग सूरज रहते खाना खाते हैं। वैसे तो गाय, बकरी, भैंस भी नहीं खाते । चाहे तो गधे को खिलाकर देख लो। आप खाते हो तो अपने आप को कम्पेअर कर लो ।
सूरज डूबने के ४० मिनट पहले याने अगर सूरज ६ बजे डूबता है तो ५.२० को आप खाना खा लो। आप कहेंगे कि रात को क्या खाएं? तो आप रात को दूध पीयो । इस समय दूध पीएंगे तो वह पच जाएगा। अगर आप दुकान पर भी बैठे हैं तो वहां भी घर से डब्बा मंगा लो । मैं हाथ जोड़कर आपसे कहता हूं कि आपमें कोई भी डायबिटिज या अस्थमा का पेशेंट है, किसी को भी वात का गंभीर रोग है तो आज से यह सूत्र चालू कर दिजिए। ३ महीने के अंदर आप खुद महसूस करेंगे कि मैं पहले से अच्छा हूं। शुगर लेवल, अस्थमा ये सब कम हो जाएगा।
-राजीव दीक्षित (पतंजली)
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