एक बार आकाशवाणी हुई। और प्रकट हो गए नारायण । कहने लगे कि बहुत दिनों से खोज थी एक अच्छे दंपत्ति की । मैं धरती पर आना चाहता हूं। योग्य आत्मा चाहिए । वैसा एक अंतःकरण होना चाहिए जिसके माध्यम से मैं आ सकूं।
उसके उपाय बताए गए हैं कि संतान उत्पत्ति के लिए किस प्रकार की प्रकृति होनी चाहिए पति-पत्नी की।
१) गर्भाधान संस्कार ।
जब किसान जमीन को बोते हैं तब वे धरती कितनी उपजाऊ है यह देखते हैं। क्या किसान खेत में ऐसे ही बीज डाल देता है? ऋतु के अनुसार बीज डाला जाता है। धरती की आद्रता-उर्वता देखी जाती है कि कितना धरती में गीलापन है। तब कहीं जाकर उन्नत फसल आती है। उस ईश्वर को भी हर युग में एक माता - पिता चाहिए। ईश्वर तब प्रकट होते हैं जब लोग बलात् हठात् चीजों का भंडारण करते हैं । संचय करते हैं। चोरी करते हैं। दूसरों का अमन-चैन चुरा लेते हैं ।
द्यूत क्रिड़ा ( Gaming), वह जुआ नहीं जो ताश पत्तों से खेली जाती है, वह जुआ तो छोटा होता है ।
वह जुआ जिसमें वाईट कॉलर वाली जॉब है। वह तो बड़े पैमाने पर होता है और किसी को पता भी नहीं चलता ।
वो खिलाड़ी, वो दलाल, जो स्टेट में बैठे हुए हैं। जहां सुंदर वस्तु, मोहनीय वस्तु, प्रतिभाएं, योग्यताएं, उत्तम कोटि का मस्तिष्क (beautiful objects, talents, abilities, best quality brain) है वे उनको अपने पास रखते हैं ।
ऐसे लंपट हैं वे। जो यह सोचते हैं कि सब कुछ हमारे पास आ जाए, तब भगवान को प्रकट होना पड़ता है।
SWAMI AVDHESHANAND JI MAHARAJ
SARAL VICHAR
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