ऐसा न हो हम जो चीज ईश्वर से मांगे वो ही हमें दुःख दे।
देवी-देवता हमें वो चीज दे भी देंगे।
पर मुक्ति तो गुरु ही देता है।
ऐसी चीज न मांगो जो बाद में दुःख दे।
हम बड़ा घर मांगते हैं।
फिर उसके रख-रखाव में परेशानी होती है।
बेटा मांगते हैं। अगर वो नालायक निकले तो....??
फिर हम मांगे ही क्यों? ईश्वर को सब पता होता है कि हमें किसकी जरुरत है।
वैसे भी जरुरत सबकी पूरी हो जाती है, इच्छाएं कभी पूरी नहीं होती।
बेहतर हालात की इच्छा है???
बेहतर हालात की इच्छा है...., तो पहले खुद छोटे क़ायदों और नियमों का पालन करना शुरु करें।
ये छोटे नियम ट्रेफिक सिग्नल के निर्देशों को मानने से लेकर
बिना ज़रूरत हार्न न बजाने तक हो सकते हैं।
इससे दूसरों की सुविधा का ध्यान रखना, आदत में शामिल हो जाएगा।
अपने कर्तव्य निभाएंगे, तो हक भी जल्दी मिलेंगे।
हमसे ही तो समाज बना है।
हमारे बदलने से ही समाज
बदलेगा और फिर हालात खुद-ब-खुद बदल जाएंगे।
पांच चीजें मिल गई तो..???
एक बार हकीम लुकमान से उसके बेटे ने पूछा, अगर मालिक ने फरमाया कि
कोई चीज मांग तो क्या मांगू?
लुकमान ने कहा, परमार्थ का धन।
बेटे ने फिर पूछा, अगर इसके अलावा दूसरी चीज मांगने को कहे तो?
लुकमान ने कहा, पसीने की कमाई मांगना।
उसने फिर पूछा, तीसरी चीज?
जवाब मिला----उदारता।
चौथी चीज क्या मांगू---- शरम माँगना।
पांचवी---- अच्छा स्वभाव।
बेटे ने फिर पूछा, और कुछ मांगने को कहे तो ?
लुकमान ने उत्तर दिया, बेटा जिसको ये पांच चीजें मिल गई उसके लिए
और मांगने के लिए कुछ भी नहीं बचेगा।
खुशहाली का यही रास्ता है और तुझे भी इसी रास्ते जाना चाहिए।
SARAL VICHAR
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