चाणक्य नीति
* मूर्ख व्यक्ति दो पैर वाला जानवर होता है। क्योंकि बुद्धिहीन लोग शब्दों के तीर (शूल) से अक्सर नुकसान पहुंचाते रहते हैं।
* आपके आस-पास भी हैं धोखेबाज लोग.. उन्हें पहचाने और उनसे बचें।
* हमारे आसपास दो प्रकार के लोग रहते हे । सज्जन और दुर्जन ।
* सज्जनों से किसी को परेशानी नहीं होती। किंतु दुर्जन लोगों से हमेशा परेशानी होती है।
* दुर्जनों की तुलना में सांप ज्यादा अच्छे होते हैं, क्योंकि सांप मौका
मिलते ही एक बार ही डसता है, किंतु दुर्जन लोग हर पल काटते हैं। जो लोग
कपटी और नीच होते हैं, उनसे दूर ही रहना चाहिए। सांप केवल स्वयं के प्राणों
को संकट में देखकर ही काटता है। किंतु दुर्जन लोग हमेशा लोगों को कष्ट
पहुंचाते रहते हैं । इनसे दूर रहने में ही हमारी भलाई है।
* धन
हमेशा सबकी अनिवार्य (जरुरी) आवश्यकता है। कुछ लोग काफी मेहनत करते हैं,
फिर भी धन की कमी से ग्रस्त रहते हैं। इसलिए हमें वहीं पर रहना चाहिए जहां मूर्खों की पूजा नहीं होती, हमेशा अन्न का भंडार भरा रहता है।
* लक्ष्मी
भी वहीं पर विराजमान रहती है जिस घर में पति-पत्नि के झगड़े नहीं होते,
जिस घर में बुद्धिमानों का उचित सम्मान होता है। जहां अतिथियों का सम्मान
होता है। किसी को खाली हाथ नहीं भेजा जाता ।
* ऐसे लोग रह जाते हैं खाली हाथ क्योंकि... सामान्यतः देखा जाता है कि व्यक्ति ज्यादा अच्छी
वस्तु
प्राप्त करने के लिए, जो उनके पास है उसे छोड़कर दूसरों की ओर भागता है,
ऐसी परिस्थिति में दोनों ही वस्तुएं उनके हाथ से निकल जाती हैं। (जो आधी को
छोड़कर पूरी चीज के लिए भागता है उससे आधी भी चीज छीन जाती है।) निश्चित
वस्तु को छोड़कर अनिश्चित वस्तुओं की ओर नहीं भागना चाहिए।
...लालची
व्यक्तियों के साथ अक्सर ऐसा होता है। अंत में वह खाली ही रह जाता है।
समझदारी इसी में है कि जो वस्तुएं और सुविधाएं हमें प्राप्त हैं, उसी में
संतोष करना चाहिए। (यहां यह नहीं कहा गया है कि अधिक धन के लिए मेहनत न
करें, किंतु लोग अधिक लालच करते हैं, दूसरों को धोखा देते हैं, इससे उनका
सुख-चैन भी छिन जाता है।)
* अपनी तारीफ सभी को अच्छी लगती है। यदि
लोग गुणहीन व्यक्ति की प्रशंसा करते हैं, तो वह भी गुणी बन जाता है। किंतु
यदि देवराज इंद्र भी स्वयं अपने मुंह से स्वयं की तारीफ करे तो वह भी छोटे ही माने जाएंगे। हमें अपने कर्म ऐसे करने चाहिएं कि लोग हमारी प्रशंसा करें।
* दुष्ट स्वभाव वाली, कड़वा बोलने वाली, बुरे चरित्र वाली स्त्री से दूर रहना चाहिए।
...ऐसे ही नीच और कपटी मित्र, पलटकर जवाब देनेवाला नौकर इनके साथ रहना भी मृत्यु के समान कष्टकर होता है।
SARAL VICHAR
0 टिप्पणियाँ