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षटसम्पत्ति को जाने...| SHATSAMPATI | KNOW THE HEIGHTS PROPERTY... | SRI SRI RAVI SHANKAR | SARAL VICHAR

षटसम्पत्ति को जाने...

षटसम्पत्ति को जाने...| श्री श्री रविशंकर जी  | KNOW THE HEIGHTS PROPERTY...  - www.saralvichar.in

शम, दम, उपरति, तितिक्षा, श्रद्धा और समाधान । ये छः सम्पतियां हैं हमारी । 

शम माने मन में शांति ।

दम यानि जब हमारी सारी इंद्रियां हमारी बात मानें । 

उपरति मतलब जो भी कार्य करते हैं, उसमें आनंद लेना ।

तितिक्षा- सहनशीलता 

जिसका आप कोई प्रमाण नहीं मांगते, वह श्रद्धा है। 

समाधान- मन में तृप्ति । 

षटसम्पत्ति को जाने...| श्री श्री रविशंकर जी  | KNOW THE HEIGHTS PROPERTY...  | SRI SRI RAVI SHANKAR - www.saralvichar.in

 

दम का अर्थ दमन नहीं है। बल्कि इंद्रियों का वश में होना है।  विडियो कोच में रातभर फिल्म चलती है। आप सोचते हैं कि फिल्म नहीं देखूगा । आराम से सोते हुए जाऊंगा। कभी आंख खुलती है, तो फिल्म का कुछ हिस्सा देख लेते हैं। फिर मन में आता है कि मुझे नहीं देखना। फिर आंखें बंद कर लेते हैं कि मुझे नहीं देखना, लेकिन मन में उत्सुकता रहती है । एक तो हम बस में बैठे हैं, यह भी एक पिक्चर ही तो है। दूसरी ओर बस में भी एक और फिल्म चल रही है। न चाहते हुए भी आप पिक्चर (फिल्म) देख लेते हैं फिर कहते हैं, 'अरे भई, आंख दर्द कर रही है, दिमाग थक गया है। सो जाना चाहिए था । सो गए होते तो ताजगी महसूस करते । किंतु उसमें आसक्ति हो गई ।

ऐसे ही कई बार हमें पता होता है कि जो चीजें मेरे शरीर को माफिक नहीं होती, वह चीज मुझे नहीं खानी, जैसे हमें पता होता है कि मठरी, समोसा नहीं खाना है.... फिर भी खा लेते हैं।

दम -का मतलब है कि जो हम कहें, हमारी इंद्रियां उनको मान लें। यह एक सम्पत्ति है।

शम -मन शांत रहे हमेशा, बेचैन न रहे। यदि हमेशा बेचैनी रहती, तो हमें पता भी न चलता कि हम बेचैन होते हैं। कुछ समय के लिए शांत होते है, फिर बेचैन हो जाते हैं।


उपरति -मतलब जो भी कार्य करते हैं, उसमें आनंद लेना । उपरति भी एक सम्पदा है। हम जो कुछ भी करें, खुशी और संतोष से करें। 

तितिक्षा -सहनशीलता । कई बार डॉक्टर का क्लिनिक देखते ही सुई लगने का डर होने लगता है। पहले ही सोच कर परेशान होना, तितिक्षा की कमी है। तितिक्षा सम्पत्ति कई लोगों में, बड़ों में, बच्चों में जन्मजात आ जाती है।

श्रद्धा -जिसका आप कोई प्रमाण नहीं मांगते, वह श्रद्धा है। अश्रंद्धा से हम प्रमाण मांगते हैं। श्रद्धा जहां होती है, वहां हमें प्रमाण की आवश्यकता नहीं होती। श्रद्धा का अर्थ ही है-मन में विश्वास ।

समाधान- मन में तृप्ति । यह भी एक सम्पत्ति है। जैसे ध्यान किया तो तृप्ति मिल गई । भोजन किया तो तृप्ति मिल गई। षटसम्पत्ति ज्ञान का एक अहम हिस्सा है। 

श्री श्री रविशंकर जी

 

SARAL VICHAR 

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