आजकल भाग-दौड़ वाली जिंदगी है। हर कोई परेशान है।
आजकल
जितनी सुविधाएं हो गई हैं जिंदगी उतनी ही तेज और तनाव भरी हो गई है। हर
किसी को २४ घंटे मिले हैं। मदर टेरेसा को भी दिन में २४ घंटे मिलते थे।
अंबानी के पास भी २४ घंटे थे। हमारे पास भी २४ घंटे हैं। टाईम सबको एक जैसा
मिला है पर हम अपनी प्रोफेशनल और पर्सनल लाईफ (जिंदगी) को अलग अलग नहीं
रखते। काम पर जाते हैं तो छुट्टी का सोचते हैं और छुट्टी पर होते हैं तो
काम का सोचते हैं। फिर ना वो काम ठीक ढंग से कर पाते हैं ना छुट्टी इंज्वाय
कर पाते हैं।
इसका इलाज हमारे पास ही है। आज ही से एक काम करते हैं। दिन में एक या आधा घंटा बैठकर लिस्ट बनाएं कि क्या काम करने हैं।
ज्यादा
महत्वपूर्ण क्या है? कुछ काम जो हमें करने ही हैं चाहे कुछ भी हो।
जैसे- खाना, मेडीटेशन, एक्सरसाईज़। जैसे खाना तो भूख लगने पर खाना ही होता है। वैसे
मेडिटेशन, एक्सरसाईज़ रोज करना चाहिए।
ज्यादा तनाव हमें तब
होता है कि जो चीजें हमें करनी नहीं हैं, हम उनको करने में जुटे रहते हैं।
हम सोचते हैं कि हमें टाईम ही नहीं मिलता। हम सोचते हैं कि हम बहुत बीज़ी हैं।
हम अपने आप से कभी नहीं पूछते कि जिन चीजों में मैं इतना busy हूं, क्या वो
जरुरी है? क्या उसे टाला नहीं जा सकता? क्या उसे कोई और टाइम या कोई और
व्यक्ति कर सकता है?
अगर इस पल याने अभी जो पल मेरे हाथ में है, इस
पल में हम रहेंगे तो ज्यादा खुश रहेंगे। जो गुजर चुका उसे बदल नहीं सकते।
जो आने वाला है उसको हम कंट्रोल नहीं कर सकते। हां... Plan (योजना) बना
सकते हैं किंतु कंट्रोल नहीं कर सकते।
हम लोग, जो इस समय हो रहा है उसमें से ध्यान हटा देते है। जो हो चुका है या जो होने वाला है उसका ध्यान करते रहते हैं।
हम
सोचते हैं कि किसी न किसी मुकाम पर पहुंचकर हमें शांति मिलेगी। किंतु ये
तो आप भी जानते हैं उस मुकाम पर हम कभी नहीं पहुंच पाएंगे। जिंदगी तो आगे
बढ़ती रहती है। बस इस जीवन यात्रा को इन्जॉय करते जाओ।
इस यात्रा का मजा लेते जाओ। हमें सिर्फ मंजिल तक पहुंचने का ही फोकस
(ध्यान) नहीं करना है। हमें इस यात्रा का, बीच सफर का भी मजा लेना है।
जिंदगी की यात्रा की अच्छी-बुरी चीजों को भुलाकर हमें इन्जॉय करना है। तब हमें सच्ची शांति मिलेगी।
-सिमरजीत सिंग
SARAL VICHAR
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