आपने हिंदी चित्रपट में या नाटक में देखा होगा कि हीरो जेल में है और सुरंग बनाकर जेल से भाग जाता है।
आज
यही काम आप खुद के लिए करेंगे क्योंकि आप भी तो अपनी जिंदगी के हीरो हैं।
आप भी शायद ऐसी जेल जिसमें जाने से पहले आपको पता नहीं था वो एक जेल है...
आप किसी नौकरी या बिजनेस में फंस चुके हैं जो आपको पसंद नहीं। आप इसे
छोड़ना भी चाहते होंगे पर शायद पैसों की परेशानी की वजह से ऐसा नहीं कर
पाते हों।
इन स्थितियों को मत स्वीकारिए। अपनी सुरंग बनानी शुरु
करिए। अपने दिल का काम शुरु करिए अगर नहीं पता कि वो क्या है तो उसे
तलाशिये। पर उस काम को जिंदगी भर मत करिए जिसे आप पसंद नहीं करते।
कैसे बनाएं सुरंग
कैसे
से ज्यादा जरुरी है की क्यों बनाएं ? जेल में बहुत लोग होते हैं पर हीरो ही
सुरंग क्यों बनाता है? क्योंकि उसके सामने एक लक्ष्य होता है। लक्ष्य ही
उसे इतना कठिन काम करने की हिम्मत देता है।
आपका लक्ष्य क्या है?
क्या अभी आपके दिमाग में वो चीज है जो आप अभी नौकरी या बिजनेस छोड़कर करना
चाहते हैं? अगर नहीं है तो इस बारे में सोचना बेकार है। ऐसे में आप सुरंग
बनाने में कामयाब हो भी जाएंगे तो पता है वो कहां निकलेगी ??? एक दूसरी
जेल में।
तो आपको लगता है कि आप जेल में हैं तो सबसे पहले आपको यह
जानना होगा कि यहां से निकल कर आप क्या करना चाहते हैं, किस चीज को आप
जुनून के साथ कर सकते हैं?
ये कैसे पता करें?
दोस्तों आप कभी न कभी किसी चीज को लेकर
उत्सुक होते हैं... सपने बुनते हैं... आपने लोगों को कहते हुए सुना होगा कि
मैं एक रेस्टारेन्ट या कोई कंपनी खोल रहा हूं। पर बहुत से लोग सिर्फ बात
करते हैं, करते कुछ नहीं।
अब हम लौट आते हैं अपनी उसी बात पर 'सुरंग कैसे बनाए'?
हीरो
क्या करता है ? किसी औजार का प्रयोग करता है। आपके पास क्या हथियार है?
कौनसा ज्ञान है? आप जो करना चाहते हैं उससे संबंधित जानकारी इकट्ठी कीजिए।
औजार हाथ में आ जाए। आपको जो करना है उसका ज्ञान मिल जाए तो आजारों को
प्रयोग में लाईए। उसके लिए समय भी निकालना होगा।
हीरो सुरंग कब
बनाता है... दिन में जब सब काम कर रहे होते हैं... नहीं उस वक्त तो वो भी
वो ही काम करता है जो दूसरे करते हैं। पर जिस वक्त सब आराम कर रहे होते
हैं... सो रहे होते हैं... मैच के मजे ले रहे होते हैं... TV. Computer से
चिपके हुए होते हैं। उस वक्त आप अपनी सुरंग बनाईए। ये आसान नहीं है।
इसमें
टाईम लगेगा। साल-दो साल या फिर और, सुरंग एक दिन में नहीं बनती। बहुत कुछ
sacrifice करना होगा। थककर रुक जाने को मन करेगा। पर आपको चलते रहना है।
चलते-चलते एक दिन आ ही जाएगा जब आप जेल से बाहर होंगे। अपनी नई दुनिया में, आजाद, अपने नए काम के साथ खुशियाँ बटोरते।
-गोपाल मिश्रा
SARAL VICHAR
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