किसी गांव में कुश्ती स्पर्धा का आयोजन किया गया। हर साल की तरह दूर-दूर से बड़े-बड़े पहलवान आए। उन पहलवानों में एक ऐसा भी था जिसे हराना सबके बस की बात नहीं थी। जाने माने पहलवान भी उसके सामने ज्यादा देर टिक नहीं पाते थे। शुरुआत होने से पहले मुखिया जी आए और बोले, पुलिस इस वर्ष के विजेता को ३ लाख रुपए इनाम में मिलेंगे।
इनाम की राशि बड़ी थी। सभी जोश में भर गए। स्पर्धा शुरुआत हुई। वही पहलवान सभी को बारी-बारी चित्त करता गया तो उसका आत्म-विश्वास भी बढ़ गया तो उसने वहां मौजूद दर्शकों को चुनौती दे डाली - क्या कोई माई का लाल जो मेरे सामने खड़े होने की हिम्मत कर सके ...। '
एक दुबला-पतला आदमी आगे आया और लड़ने के लिए तैयार हो गया। उसे देखकर पहलवान हंसने लगा
कि - 'तू होश में तो ना! क्या मुझसे लड़ेगा?
उस व्यक्ति ने चतुराई से काम लिया। उस पहलवान के कान में जाकर कहा-'अरे पहलवानजी, मैं आपके सामने टिक पाऊंगा। तुम ये कुश्ती हार जाओ। मैं इनाम के सभी पैसे तो आपको दूंगा साथ में आप मेरे घर आकर ३ लाख अतिरिक्त ले जाना। सब जानते हैं कि आप कितने महान हैं। एक बार हारने से आपकी ख्याति कम नहीं होगी।
कुश्ती की शुरुआत होती है। पहलवान पहले-पहले लड़ने का नाटक करता है फिर हार जाता है। उसकी घोर निंदा होती है।
अगले दिन वह पहलवान शर्त के पैसे लेने उस दुबले व्यक्ति के घर जाता है और ६ लाख रुपए मांगता है। वह व्यक्ति कहता है 'कौन सा पैसा? कल आप अपने दांव-पेंच डाल रहे थे और मैं अपने। इस बार मेरे छक्के-पेंच आप पर भारी पड़े।
सिद्धांत- हमें इस कहानी से यह सीख मिलती है कि थोड़े पैसों के लालच में सालों की कमाई रिटर्न भी मिट्टी में मिल जाती है और पैसों से भी हाथ धोना पड़ता है। अतः हमें कभी भी अपने नैतिक मूल्यों से कभी समझौता नहीं करना चाहिए।
SARAL VICHAR
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