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हैप्पी बिटिया दिवस | HAPPY BITIYA DIVAS | HAPPY DAUGHTER DAY | SARAL VICHAR

हैप्पी बिटिया दिवस

हैप्पी बिटिया दिवस |  HAPPY DAUGHTER DAY - www.saralvichar.in

  बेटी की विदाई के वक्त पिता ही सबसे आखिरी में रोता है क्यों, चलिए आज आपको विस्तार से बताते हैं।
बाकी सब भावुकता में रोते हैं, पर पिता उस बेटी के बचपन से विदाई तक के बीते हुए पलों को याद कर कर के रोता है।।  

माँ बेटी के रिश्तों पर तो बात होती ही है, पर पिता ओर बेटी का रिश्ता भी समुद्र से गहरा है । हर पिता घर के बेटे को गाली देता है, धमकाता है, मारता है, पर वही पिता अपनी बेटी की हर गलती को नकली दादागिरी दिखाते हुए नज़र अंदाज़ कर देता है ।

बेटे ने कुछ माँगा तो एक बार डाँट देता है पर बेटी ने धीरे से भी कुछ माँगा तो पिता को सुनाई दे जाता है, और जेब में कुछ हो न हो पर बेटी की इच्छा पूरी कर देता है । 

दुनिया उस पिता का सब कुछ लूट ले, तो भी वो हार नहीं मानता पर अपनी बेटी की आँख के आँसू देख कर खुद अंदर से बिखर जाता है।
और बेटी भी जब घर में रहती है तो उसे हर बात में पिता का घमंड होता है, किसी ने कुछ कहा नहीं कि वो बेटी तपाक से बोलती है, पापा को आने दे फिर बताती हूँ । बेटी घर में रहती तो माँ के आँचल में है, पर बेटी की हिम्मत उसका पिता रहता है । 

बेटी की जब शादी में विदाई होती है तब वो सबसे मिलकर रोती तो है पर जैसे ही विदाई के वक्त कुर्सी समेटते पिता को देखती है, जाकर झूम जाती है और लिपट जाती है और ऐसा कस के पकड़ती है अपने पिता को जैसे माँ अपने बेटे को, क्योंकि उस बच्ची को पता है ये पिता ही है जिसके दम पर मैंने अपनी हर ज़िद पूरी की थी । खैर पिता खुद रोता भी है और बेटी की पीठ ठोंक कर फिर हिम्मत देता है, कि बेटा चार दिन बाद आ जाऊँगा तुझको लेने और खुद जान बूझकर निकल जाता है किसी कोने में और उस कोने में जाकर वो पिता कितना फूट फूट कर रोता है, ये बात सिर्फ एक बेटी का पिता ही समझ सकता है ।
 

जब तक पिता ज़िंदा रहता है, बेटी मायके में हक़ से आती है और घर मे भी ज़िद कर लेती है और कोई कुछ कहे तो झट से बोल देती है कि मेरे पिता का घर है, पर जैसे ही पिता मरता है ओर बेटी आती है तो वो इतनी चीत्कार करके रोती है कि सारे रिश्तेदार समझ जाते हैं कि बेटी आ गई है । 

और वो बेटी उस दिन अपनी हिम्मत हार जाती है, क्योंकि उस दिन उसका पिता ही नहीं उसकी वो हिम्मत भी मर जाती हैं। 

पिता की मौत के बाद बेटी कभी अपने भाई के घर ज़िद नहीं करती है, जो मिला खा लिया, जो दिया पहन लिया क्योंकि जब तक उसका पिता था तब तक सब कुछ उसका था यह बात वो अच्छी तरह से जानती है। 

आगे लिखने की हिम्मत नही है, बस इतना ही कहना चाहता हूँ कि पिता के लिए बेटी उसकी ज़िन्दगी होती है, पर वो कभी बोलता नहीं, और बेटी के लिए पिता दुनिया की सबसे बड़ी हिम्मत और घमंड होता है, पर बेटी भी यह बात कभी किसी को बोलती नहीं है । 

पिता बेटी का प्रेम समुद्र से भी गहरा है.... हमें मालूम है कि विवाह के बाद बेटियों का अपने पिता से 25 प्रतिशत तथा ससुराल में 75 प्रतिशत रिश्ता रहता है।

सभी प्यारी बेटियों और उनके पिता को समर्पित

 

SARAL VICHAR

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