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दिमाग और ज़िंदगी की रोचक बातें | Psychology Facts & Life Lessons


दिमाग और ज़िंदगी की रोचक बातें | Psychology Facts & Life Lessons - www.saralvichar.in


आपको पता है रोज़ 30 मिनट कुछ पढ़ने से आप 2 साल ज्यादा जी सकते हो ।

मनोविज्ञान कहता है कि जब इंसान झूठ बोल रहा होता है तो वह बोलते वक़्त ऊपर की ओर और दाईं ओर बाईं ओर देखता है, इसलिए आप झूठ पकड़ने के लिए लोगों की आंखे नोटिस कर सकते हो।

जो बच्चे मई के महीने में पैदा होते हैं वो और महीनों में पैदा हुए बच्चों से वजन में ज्यादा होते हैं।

सबसे ज्यादा बोले जाना वाला झूठ " मैं ठीक हूं "

जब आप खुशी के मारे रो पड़ते हो तो पहला आंसू दाईं आंख से आता है और जब आप दुख से रो पड़ते हो तो पहला आंसू बाईं आंख से आता है ।

जब इंसान मरता है तो 7 मिनट तक उसका दिमाग काम कर रहा होता है और वह सपने जैसा कुछ देख रहा होता है। क्या पता ये 7 मिनट वाला समय वो हो जब यमदूतों से बातचीत चल रही हो।

जो लोग होशियार होते हैं उनके एक औसत व्यक्ति की तुलना में कम दोस्त होते हैं क्यों कि उनका दिमाग बहुत ही चयनात्मक (चुननेवाला) हो जाता है।

हमारे दिल का प्यार में पड़ने से कोई लेना देना नहीं होता है यह सब हमारे मस्तिष्क का आनंददायक या प्रेरक भावना (डोपामाइन) होता है ।

जब कोई छोटी छोटी फालतू की बातों पर गुस्सा हो रहा हो तो उसका मतलब कि उसे थोड़ा सा सुकून और प्यार चाहिए।

सामान्यत जब महिलाएं अपनी समस्या बता रहीं होती हैं तो उन्हें जवाब और समाधान नहीं चाहिए होता है वो बस चाहती है कि कोई उनकी बात शांति से सुन ले।

अगर पिछले कोई दो प्रेमी युगल अभी भी फ्रेंड्स हैं तो इसका मतलब है या तो वे अभी भी प्यार में हैं या उनके बीच पहले भी कुछ नहीं था ।

कोई भी अपनी जिंदगी में बहुत व्यस्त नहीं होता है। यह बस उस की प्राथमिकताओं (priorities) पर निर्भर करता है कि वह किस चीज़ को प्रधानता देता / देती है।

हम में से कुछ ज्यादा खुश होने से भी डरते हैं क्योंकि हमें डर होता है कि कोई ऐसा वैसा हादसा ना हो जाए। घर में इसीलिए कहते हैं ज्यादा मत हंसो , हंसी टल जायेगी।

झूठ बोलने के लिए काफी मानसिक मेहनत लगती है। इसलिए झूठ बोलना भी एक कला है।

बूढ़े लोग बाहर से भले ही खामोश लगें, पर अंदर वे अपनी पुरानी ज़िंदगी के बारे में सोचते रहते हैं।

भय का संबंध अज्ञानता से होता है। बच्‍चों को जानकारी नहीं होती तथ्‍यों की, इसलिए वे निर्भीक होते हैं। वे सहज ढंग से सांप को भी पकड़ लेते हैं। पर जैसे जैसे ज्ञान होता जाता है मन उसी के आलोक मे निर्भीक या भयभीत हो काम करता है।


SARAL VICHAR

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